करोना महामारी आपदा में राज्य के उद्योग एवं व्यापार के भविष्य की सुरक्षा हेतु सुझाव

Dehradun News

देहरादून  28 मार्च उत्तराखंड इस दशक की दूसरी प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहा हे। अभी २०१३ की त्रासदी से प्रदेश उभर भी नही पाया था की विश्व भर मे फ़ेली करोना महामारी की वजह से देशव्यापी लॉक आउट ने प्रदेश व प्रदेश के उद्यमी, व्यापारी व समस्त आम जनता में त्राही त्राही फ़ेला दी सभी अपने अनिश्चित भविष्य के लिये चिंतित हे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदृष्टि के  समय अनुसार लिये गये निर्णय व उत्तराखंड प्रदेश के कुशल नेतृत्व के निर्णय व प्रशासन पुलीस विभाग के आपसी तालमेल व सक्रीयता से आज तक उत्तराखंड महामारी से सुरक्षित है, ओर आशा हे प्रदेश इस त्रासदी से पूर्ण रूप से सुरक्षित रखेगा।इस महामारी की त्रासदी के कारण प्रदेश के समस्त उद्योग एवं व्यापार बंद हे जिसकी वजह से सभी अपने भविष्य के लिये चिंतित हे। उद्योग पर पढ़ने वाले आवर्ती recurring खर्चो के बोझ से उनकी permanent बंदी की प्रबल आशा एक बढ़ा चिंता का विषय हे। बिजली का बिल, क़र्ज़ पर लगने वाला ब्याज व कर्मचारीयो का वेतन की देनदारियाँ आदि आवश्यक खर्चों के भारी बोझ को बंदी के कारण प्रकृति ने उद्यमियों व व्यापारियों पर डाल दिया है। इस कठिन परिस्थितियों का सामना करने व उद्योगों व व्यापार व निर्मांधीन उद्योग की बंदी से बचाने के लिये हमारे द्वारा  उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन प्रेषित करते हुए माँग की है कि  प्रदेश सरकार प्रदेश के उद्योग, पर्यटन उद्योग,सभी छोटे व बढ़े उद्योगो एवं व्यापार को बिजली के बिल पर आरोपित न्यूनतम चार्ज  ना लेते हुए  वास्तविक विद्युत यूनिट के उपयोग का ही बिल बंदी के समय का लेने का निर्णय लेने के साथ ही इलेक्ट्रिसिटी शुल्क को माफ़ करते हुए बिना लेट फ़ीस के बंदी के समय का बिल  फ़िलहाल ३० जून तक देने की अनुमति प्रदान करे।
  मुख्य मंत्री से अनुरोध किया हे कि केन्द्र सरकार से उत्तराखंड हेतु उन्हें संलग्नक प्रधान मंत्री जी को संबोधित पत्र, जिसके द्वारा निम्न बंदी के समय के लिये माँगो को अपने स्तर से भी दिलवाने हेतु संसुति करे। ज्ञापन में निम्न माँग केन्द्र सरकार से की गई हे।- सभी उद्योग पर्यटन व व्यापार के क़र्ज़ पर बंदी के दौरान पड़ने वाले ब्याज को माफ़ किया जाये।- उद्योग व व्यापार में कार्यरत कर्मचारीयो का समय से वेतन का भुगतान एवं उनके रोज़गार को बंदी के समय सुरक्षित रखने के लिये ५०% कुल देय वेतन को केन्द्र सरकार को वहन करना चाहिये।- सरकार द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि में उद्यमी व व्यापारियों द्वारा जमा किये गये अंश को केन्द्र सरकार द्वारा वहन करने का आदेश शर्तों के साथ पारित किये गये इन आदेश की शर्तों को हटा कर यह सुविधा समस्त कम्पनीयो को देय होनी चाहिये।- निर्यातक इकाइयों के जो कंटेनर जो पोर्ट पर हे पर पोर्ट,शिपिंग कम्पनीयो व कस्टम के पोर्ट लेट फीस, पनल्टी आदि शुल्क को माफ़ कराया जाये।उपरोक्त छूट बंदी के दोरान व्यवसायों में आये संकट से बचाने के लिये माँग की जा रही हे। संकट से उभर ने के बाद प्रदेश के व्यवसायों को पटरी पर लाने के लिये चर्चा अभी से शुरू की जानी चाहिए।

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