चमत्कार… चुनौती और उपलब्धियों में बीता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक साल।

Uncategorized

सुनील, ब्यूरो प्रमुख/हरिद्वार________

विनम्रता की प्रतिमूर्ति हैं पुष्कर सिंह धामी
“उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाने का जज्बा है युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी में” यह कहना है- महंत रविंद्रपुरी अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं अध्यक्ष श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट सचिव श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा का।



उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक विनम्र राजनेता है विनम्रता ही उनकी पहचान है विनम्रता ही उनका आभूषण है अहंकार से दूर यह राजनेता उत्तराखंड को एक आत्मनिर्भर प्रदेश बनाने की दिशा में लगा है और प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दर पर जो आता है वह खाली हाथ नहीं जाता वे आम जनता की शिकायतों को बड़े लगन से सुनते हैं और उन्हें हाथों हाथ हल करने का प्रयास करते हैं उनके विरोधी भी मानते हैं कि उनकी विनम्रता उनका सबसे बड़ा राजनीतिक औजार है उनके पास उनका कोई भी विरोधी कितने भी गुस्से में आए परंतु वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जब मिलकर जाता है तो हंसी-खुशी जाता है धामी का संकल्प उत्तराखंड राज्य को आत्मनिर्भर बनाना है उसी दिशा में ले रात दिन लगे हुए हैं सुबह सुबह मॉर्निंग वॉक में जनता से मिलना फीडबैक लेना आमजन के साथ चाय की चुस्कियां लेना यह है पुष्कर सिंह धामी की एक अलग राजनीतिक पहचान के रूप में तेजी से विकसित हुई है उससे उन्हें जनता से सीधा संवाद कर अपने कामकाज के बारे में सही जानकारी मिलती है और वे उसी के अनुसार अपनी राजनीति और राज्य की सेवा का अगला कदम उठाते हैं
राजनीति में अक्सर चमत्कार हो जाया करते हैं। सत्ता के खेल की यही खासियत है। उत्तराखण्ड भी इससे अछूता नहीं रहा। यह चमत्कार भाजपा के युवा नेता व मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जुड़े है। पहला चमत्कार जुलाई 2021में हुआ जब पार्टी के महारथियों को पीछे धकेल पुष्कर सिंह धामी पल भर में तीरथ सिंह रावत के बाद उत्तराखण्ड के सीएम बन गए। मोदी-शाह का यह फैसला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया। युवा धामी कभी मंत्री नहीं बने सीधे मुख्यमंत्री बने। बे पहले ऐसे राज्य के नेता हैं जो कभी किसी मंत्री के पद पर नहीं रहे और सीधे उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली धामी अहंकार कार से कोसों दूर हैं

इससे पूर्व 2017 में दूसरी बार भाजपा के टिकट पर खटीमा से चुनाव जीते विधायक धामी को उम्मीद थी कि उन्हें त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। त्रिवेंद्र सिंह रावत के मार्च 2021 में मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटने के बाद फिर उम्मीद जगी कि तीरथ कैबिनेट में जगह मिल जाएगी। तमाम कोशिश के बाद राजनीति व सत्ता के अबूझ खेल में धामी के हिस्से में फिर निराशा हाथ आयी।

लेकिन इसी निराशा के बीच भाग्य धामी पर मुस्कराने भी लगा था। चार महीने बाद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। और मोदी-शाह ने कद्दावर दावेदारों पर लग रहे कयासों को दरकिनार करते हुए पुष्कर सिंह धामी को जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी।

प्रदेश की राजनीति और जनता के लिए यह एक चौंकाने वाली खबर थी। भाजपा के कई दिग्गजों के लिए पार्टी हाईकमान का यह फैसला किसी बड़े झटके से कम नहीं रहा। तात्कालिक तौर सतपाल महाराज, यशपाल आर्य, हरक सिंह समेत कुछ अन्य नेताओं की नाराजगी की खबर सामने भी आयी। लेकिन नये मुख्यमंत्री धामी ने स्वंय इन नेताओं के घर जाकर मना लिया।

मुख्यमंत्री बनते ही युवा पुष्कर सिंह धामी के सामने पार्टी के सीनियर नेताओं की ‘ईगो’ को शांत करते हुए 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन को लेकर भारी दबाव था। अपनी विनम्रता व सभी कार्यकर्ताओं को आदर देने के मंत्र पर चलते हुए युवा पुष्कर धामी ने पार्टी के अंदर और बाहर पॉजिटिव माहौल बना दिया। यही नहीं, विपक्षी कांग्रेस खेमे में भी हलचल पैदा कर दी

इस पहली छह महीने की पारी में विभिन्न नाराज सेक्टर के पक्ष में फैसले लिए। हर सेक्टर के लिए कुछ न कुछ घोषणाएं की गयी। नतीजतन, 2022 के चुनावी शोर के बीच एक और चमत्कार की कहानी अंगड़ाई लेने लगी थी। कांग्रेस, केजरीवाल,उक्रांद, बसपा व भाजपा विधानसभा के सत्ता संग्राम में उलझी। उत्तराखण्ड में पहली बार भाजपा ने 46 सीट जीतकर इतिहास बनाया। एक बार फिर भाजपा की सरकार बनने का रास्ता साफ हुआ। लेकिन मुख्यमंत्री धामी खटीमा से चुनाव हार गए। धामी के चुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर फिर बिसात बिछाई जाने लगी। कई पुराने दावेदार दिग्गजों के चेहरे की रंगत लौटने लगी। चर्चाओं का केंद्र बिंदु यही था कि हार के बाद पार्टी हाईकमान पुष्कर धामी को दूसरा अवसर नहीं देगा। लेकिन राजनीति के खेल में अभी दूसरा चमत्कार भी होना शेष था।

फैसले की घड़ी करीब आने लगी। प्रदेश की राजनीति के दूसरे चमत्कार की कहानी भी साथ-साथ लिखी जाने लगी। और मोदी-शाह ने अपना चुनाव हारे लेकिन भाजपा को जिताने वाले योद्धा युवा पुष्कर का राजतिलक कर दिया। यह फैसला भी दिग्गजों को सन्न कर देने वाला था। 23 मार्च 2022 को पुष्कर धामी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

नाराजगी की छिटपुट अंदरूनी राजनीति को दिल्ली के सहयोग से मुख्यमंत्री धामी ने शांत परवाह दिया। और फिर 2022 के चुनावी वादे के तहत धर्मानंतरण कानून को लागू करने के लिए समिति का गठन कर देश और प्रदेश में नयी बहस को जन्म भी दे दिया।

अब मुख्यमंत्री धामी के सामने खुला आकाश था। मोदी-शाह-नड्डा का जबरदस्त आशीर्वाद। और प्रदेश के विकास की एक बड़ी चुनौती। लेकिन सत्ता के सफर में अभी कई तीखे मोड़ आने बाकी थे। खतरनाक मोड़ पर सबसे युवा सीएम का एकसाथ कई बड़े संकट इंतजार कर रहे थे।

चुनौतियों में गुजरा एक साल

मार्च में सत्ता संभालने के चार महीने बाद अंकिता भंडारी हत्याकांड के अलावा, विधानसभा, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, लोक सेवा आयोग व अन्य भर्ती एजेंसियों से जुड़े घोटाले ने तापमान बढ़ाये रखा। भर्ती घोटाले में पूर्व आईएफएस आरबीएस रावत,हाकम सिंह ज़मेट लगभग 60 अभियुक्त जेल में बंद हैं। जोशीमठ आपदा की चुनौती भी किसी हिमालयी समस्या से कम नहीं आंकी जा रही है। अंकिता भंडारी हत्याकांड में जिस तरह से मुख्यमंत्री ने अभियुक्तों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए सक्रियता दिखाई और उन पर शिकंजा कसा उनका वह कदम भी प्रशंसनीय रहा

उपलब्धियों की फेहरिस्त भी जुड़ी

मुख्यमंत्री धामी ने एक साल में अनेकों महत्वपूर्ण उपलब्धियों की ओर भी कदम बढ़ाए हैं। महिला व आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में आरक्षण, चुनावी वादे के मुताबिक धर्मानंतरण कानून के ड्राफ्ट पर मंथन, नकल विरोधी कानून, एक आईएएस 2 आईएफएस व 1 आरटीओ के खिलाफ कार्रवाई, भर्ती घोटाले में पूर्व आईएफएस समेत कई को जेल,वृद्धावस्था पेंशन में इजाफा, गरीबों को 3 मुफ्त गैस सिलिंडर को विशेष उपलब्धियों में गिना जा रहा है। इसके अलावा स्वरोजगार, मिशन एप्पल, मिशन कीवी,होम स्टे, मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी, स्टेट मिलेट मिशन, लखपति दीदी योजना, पर्यटन नीति में 100 प्रतिशत सब्सिडी व पॉली हाउस के 200 करोड़ के बजट को भाजपा खास उपलब्धियों में गिना रही है।

यही नहीं, बीते एक साल में मुख्यमंत्री धामी का गांव प्रवास व सुबह सुबह आम जनता से मिलने की कवायद को लेकर भी राजनीति में जबरदस्त हलचल देखी जा रही है। धामी का कहना है कि 2025 तक उत्तराखण्ड को देश का अग्रणी राज्य बनाएंगे। धामी को जनता की कसौटी पर खरा उतरने के अलावा मंत्रिमंडल विस्तार व दायित्व बंटवारे की एक और चुनोती से भी पार पाना अभी बाकी है… मुख्यमंत्री का विनम्र स्वभाव उनकी राजनीतिक पहचान बन गया है अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष तथा श्री निरंजनी पंचायती अखाड़े के सचिव महंत श्री रविंद्र पुरी महाराज कहते हैं कि पुष्कर सिंह धामी एक युवा मुख्यमंत्री हैं और उनके अंदर राज्य को तेजी के साथ विकास की ओर ले जाने का जज्बा है उनकी विनम्रता ही उनका सबसे सशक्त माध्यम है राजनीति में उन्नति करने का वे सही मायने में जन नेता है जो जनता से सीधे सीधे जुड़े हुए हैं और साधु समाज उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eight − 1 =