हरिद्वार । प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज विभिन्न नमामि गंगे परियोजनाओं-230 करोड़ रूपये की लागत से बना 68 एम.एल.डी. क्षमता का एस.टी.पी., जगजीतपुर, हरिद्वार, 20 करोड़ रूपये की लागत से बना 27 एम.एल.डी. क्षमता का अपग्रेडेशन एस.टी.पी., जगजीतपुर, हरिद्वार, 13 करोड़ रूपये की लागत से बना 18 एम.एल.डी. क्षमता का अपग्रेडेशन एस.टी.पी., सराय, हरिद्वार, चण्डीघाट, हरिद्वार में गंगा के संरक्षण एवं जैव विविधता को प्रदर्शित करता ’गंगा संग्रहालय’, 158 करोड़ रूपये की लागत से बना 26 एमएलडी क्षमता का एस.टी.पी.,लकड़घाट, ऋषिकेश, 41 करोड़ रूपये की लागत से बना 7.5 एम.एल.डी. क्षमता का एस.टी.पी., चन्द्रेश्वर नगर,मुनिकीरेती, 39 करोड़ रूपये की लागत से बना 5 एल.एल.डी. क्षमता का एस.टी.पी., चोरपानी, मुनीकीरेती, 19 करोड़ रूपये की लागत से बने 1.01 एम.एल.डी. क्षमता के एस.टी.पी., बदी्रनाथ का वर्चुअल लोकार्पण किया।
इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि चारधाम की पवित्रता को अपने में समेटे उत्तराखण्ड को मेरा नमन्। नमामि गंगे परियोजनाओं का उल्लेख करते हुये उन्होंने इसके लिये सभी को बधाई दी।
जल जीवन मिशन का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत के हर घर तक पाइप से जल पहुंचाने का प्रयास है तथा मिशन का लोगो इसकी प्रेरणा देता है। गंगा का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि गंगा हमारी सांस्कृतिक वैभव, विरासत तथा जीवन को समृद्ध करती है। इसकी निर्मलता तथा अविरलता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमने नमामि गंगे मिशन को गंगा सफाई तक सीमित नहीं रखा है। उन्होंने कहा कि हमने सीवरेज प्लांट इस तरह बनाये हैं कि वे आगे के 10 साल की जरूरतों को पूरा करेंगे। हजारों गांवों को खुले में शौच से मुक्ति मिलने के साथ ही नदियां प्रदूषण मुक्त होंगी।
श्री मोदी ने कहा कि 30 हजार से अधिक परियोजनाओं का काम चल रहा है या पूरे हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में इस अभियान के तहत चल रहे प्रोजेक्टों से छह साल में सीवरेज क्षमता करीब चार गुना बढ़ गयी है। उन्होंने कहा कि 130 से ज्यादा ज्यादा नाले गंगा जी में गिरते थे, आज अधिकतर को रोक दिया गया है। पहले दर्शन, राफ्टिंग वालों को काफी परेशानी होती थी। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में ही 20 से ज्यादा नालों को बन्द किया जा चुका है। उन्होेंने कहा कि हरिद्वार कुम्भ के दौरान श्रद्धालुओं को निर्मल गंगा का अनुभव होगा तथा सैंकड़ों घाटों का सौन्दर्यीकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे अभियान से जैविक खेती व आयुर्वेदिक खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले पैसा पानी की तरह बहाया जाता था, पर नतीजा उसके अनुरूप नहीं आता था। उन्होंने कहा कि सही मार्गदर्शन व दिशा-निर्देश देकर आज हमारी सरकार ने पाई-पाई को सही जगह पर लगाना सुनिश्चित किया है।
श्री मोदी ने कहा कि पानी के इंतजाम में हमारी माताओं एवं बहनों को काफी कष्ट उठाना पड़ता है। जल शक्ति मंत्रालय माताओं एवं बहनों के इस कष्ट को दूर करने के लिये हर घर तक जल पहुंचाने के मिशन में जुटा है। उन्होंने कहा कि हर दिन एक लाख परिवारों को शुद्ध जल से जोड़ा गया है।
उत्तराखण्ड का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि सिर्फ एक रूपये में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उत्तराखण्ड सरकार ने उठाया है। यह गरीब के घर तक पानी पहुंचाने का मिशन है तथा सरकार के काम करने में जो बदलाव आया है, यह उसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि पहले फैसले राजधानी में होते थे, लेकिन अब फैसले गांवों में लिये जाते हैं। उन्होंने कहा कि 02 अक्टूबर से 100 दिन का एक विशेष अभियान चलाया जायेगा, जिसमें हर स्कूल व हर आंगनबाड़ी को नल से जल से जोड़ा जायेगा।
किसानों का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि हमने किसानों को समस्त बन्धनों से मुक्त किया है, वह अपनी उपज को कहीं भी बेच सकता है। उन्होंने कहा कि एमएसपी भी रहेगी व किसान को अपनी फसल को कहीं भी बेचने की आजादी भी रहेगी। उन्होंने सरकार द्वारा जनहित में उठाये गये कदमों जैसे-डिजीटल भारत, जी0एस0टी0, रक्षा खरीद, सर्जिकल स्ट्राइक, राम जन्मभूमि पूजन आदि का जिक्र करते हुये कहा कि कुछ स्वार्थी तत्व राष्ट्रहित व जनहित में उठाये गये कदमों का भी विरोध के लिये विरोध करते हैं। उन्होेंने कहा कि ऐसे तत्व अब अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ’पी0एम0 रोइंग डाउन द गंगा’’ पुस्तक विमोचन तथा लघु फिल्म- जल जीवन का अनावरण भी किया।
प्रधानमंत्री के विभिन्न नमामि गंगे परियोजनाओं के वर्चुअल लोकार्पण से पूर्व श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, मंत्री जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री तथा वीडियो कांफे्रसिंग से जुड़े सभी का स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गंगा हमारी सांस्कृतिक विरासत है तथा हमारे आर्थिक जीवन का आधार है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में गंगा के पानी में शुचिता का प्रभाव दिखा है तथा इसे जन-जन तक जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि उद्गम से लेकर आखिरी छोर तक गंगा का पानी आचमन योग्य होगा। निश्चित रूप से अब परिणाम दिखाई देने लगे हैं। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे के तहत गंगा के किनारे बसे जितने भी शहर या गांव हैं, उनका गन्दा पानी गंगा में जाने से रोका जायेगा।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का उत्तराखण्ड के लिये दी गयी इन सौगातों के लिये आभार प्रकट किया तथा वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुड़े सभी का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि गंगा आदिकाल से ही प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं है, बल्कि जन-जन की भावनाओं से जुड़ी है। जनसंख्या वृद्धि तथा अन्य कारणों से गंगा की शुद्धता प्रभावित हुई है। प्रधानमंत्री जी के कुशल मार्गदर्शन एवं सम्पूर्ण प्रयास की वजह से आज गंगा इतनी शुद्ध हुई है कि उसमें डालफिन आदि भी दिखाई देने लगे हैं। प्रधानमंत्री जी के भगीरथ प्रयास का ही यह परिणाम है।
श्री रावत ने कहा कि बद्रीनाथ से देवप्रयाग तक पहले 135 नाले गिरते थे, इनमें से 128 नाले बन्द कर दिये गये हैं तथा शेष सात नालों को कुम्भ से पहले, सम्भवतः अगले ही महीने टैप कर दिये जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चण्डीघाट सहित गंगा के किनारे 21 स्नानघाटों का निर्माण किया गया है। अर्थ गंगा के माॅडल का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि जन-जागरूकता के कारण गंगा के दोनों तटों पर आज आर्गेनिक खेती हो रही है, जिन्हें आर्गेनिक ब्लाॅक घोषित किया गया है। इसके लिये किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संयंत्रों का शोधित जल सिंचाई के काम आ रहा है तथा उसके बचे अवयव कम्पोस्ट खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
श्री रावत ने कहा कि आगमी मार्च में महाकुम्भ का आयोजन होना है। हमारा पूरा प्रयास है कि श्रद्धालु निर्मल गंगा में स्नान करके जायें।
इस अवसर पर जगजीतपुर, एसटीपी में श्री प्रदीप झा, अध्यक्ष गंगा सभा, श्री तन्मय वशिष्ठ, महामंत्री गंगा सभा, श्री ओम प्रकाश जमदग्नि, मा0 सांसद प्रतिनिधि, श्री आदेश चैहान, मा0 विधायक, रानीपुर, श्री सुरेश राठौर, मा0 विधायक, ज्वालापुर, श्रीमती अनीता शर्मा, मेयर, श्री सी0 रविशंकर, जिलाधिकारी, श्री विनीत तोमर, सी0डी0ओ0, श्री जय भारत सिंह, मुख्य नगर अधिकारी, श्री जगदीश लाल, सिटी मैजिस्ट्रेट, सी0जी0एम0 जल संस्थान, श्री आर0के0 जैन, परियोजना प्रबन्धक, निर्माण एवं अनुरक्षण, इकाई गंगा, हरिद्वार, श्री अजय कुमार, अधिशासी अभियन्ता, जल संस्थान, हरिद्वार(सीवरिंग) आदि उपस्थित थे।
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