राष्ट्रिय मानव अधिकार संरक्षण समिति ट्रस्ट उत्तराखंड

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राष्ट्रिय मानव अधिकार संरक्षण समिति ट्रस्ट उत्तराखंड पश्चिम की प्रांतीय उपाध्यक्षा रेखा नेगी ने तीज पर बोलते हुये कहा कि हमारी संस्कृति तीज-त्यौहारों, पर्व-उत्सवों से सजी है। कहा भी जाता है, भारतीय संस्कृति में सात वार और नौ त्यौहार हैं। इस रंग-रंगीली संस्कृति की जान हैं हमारी परंपराएं। देश के हर प्रांत की अनूठी परंपराओं पर धड़कता है हमारी भारतीय संस्कृति का दिल। जब इन परंपराओं को भक्ति-भाव में डूबकर उपवास और आराधना के साथ मनाया जाता है तो लगता है ईश्वर स्वयं आशीर्वाद देने धरा पर उतर आए हों। हर प्राणी आनंद का अनुभव करता है। इस शीतल सुरम्य वातावरण में हमारे पर्वों-उत्सवों का मजा बढ़ जाता है। तीज-त्योहार प्रकृति के सौंदर्य के आभूषण से सज जाते हैं। महिलाओं के व्रत उपवासों में श्रद्धा भक्ति के साथ वातावरण की सुंदरता भी शामिल हो जाती हैं।
प्रांतीय उपाध्यक्षा ने कहा कि तीज के त्यौहार को हरियाली तीज, कजरी तीज और हरितालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है| सावन का यह पहला त्यौहार बच्चे, बूढ़े, जवान, महिलाएं हर वर्ग के लोगों के मन में अलग ही ख़ुशी और उत्साह लेकर आता है| सावन की हरियाली के साथ आने से तीज के त्यौहार का महत्त्व और भी बढ़ जाता है| चारों तरफ हरियाली और सावन की वो मूसलाधार बारिश जीवन को और भी रंगीन कर देती है इसलिए कई क्षेत्रों में इस त्यौहार को हरियाली तीज भी कहा जाता है|
उन्होने कहा कि नव विवाहित महिलाएं शादी के बाद अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए व्रत रखती है| वो अपने मायके जाने के लिए बेसब्री से इंतज़ार करती है मन में अत्यधिक ख़ुशी होती है| अपने हाथों में सुन्दर-सुन्दर मेहंदी लगाती है सदैव सुहागन रहने की कामना करती है| इस पर्व पर मिठाइयाँ बनाने का भी विशेष महत्त्व है खास तौर पर गुँजिया और गेवर जैसे व्यंजन विशेष तौर पर बनाये जाते है| तीज के दिन कई जगहों पर बहुत धूम धाम के साथ मेले और झुलुस का आयोजन किया जाता है माता पार्वती देवी की सवारी बड़ी धूमधाम के साथ निकाली जाती है| तीज का व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि आती है और वैवाहिक जीवन में आने वाली हर समस्या दूर हो जाती है|

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