भारत में संयुक्त राज्य अमेरिका के 25वें राजदूत एवं वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रबंधन और संसाधन उप सचिव श्री रिचर्ड वर्मा सपरिवार पधारे परमार्थ निकेतन।
रिचर्ड वर्मा की धर्मपत्नी मेलिनेह वर्मा, उनके तीनों बच्चे, उनकी बहनें आदि परिवार के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन में मनाया रक्षाबंधन पर्व
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में गंगा आरती में किया सहभाग
भारत व अमेरिका के रिश्तों की मजबूती का उत्कृष्ट उदाहरण
ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन में भारत में संयुक्त राज्य अमेरिका के 25वें राजदूत एवं वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रबंधन और संसाधन उप सचिव श्री रिचर्ड वर्मा जी का सपरिवार आगमन हुआ। उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में रक्षाबंधन का पर्व मनाया और फिर विश्व विख्यात गंगा आरती में सहभाग किया। यह केवल एक पर्व नहीं बल्कि दो देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने का एक उत्कृष्ट अवसर है। साथ ही यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति सम्मान और प्रेम को भी दर्शाता है।
रिचर्ड वर्मा का परमार्थ निकेतन में आगमन न केवल व्यक्तिगत संबंध बल्कि यह भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते संबंधों का भी प्रतीक है। परमार्थ निकेतन सदैव ही सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देगा। रिचर्ड वर्मा का यह दौरा और रक्षाबंधन का पर्व मनाना, दोनों देशों के बीच इस बढ़ते सहयोग और समझ को और मजबूत करेगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज विश्व संस्कृत दिवस के अवसर पर संस्कृत भाषा के महत्व और उसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के विषय मंे जानकारी देते हुये कहा कि संस्कृत का भारतीय सभ्यता, संस्कृति और शिक्षा पद्धति में एक महत्वपूर्ण स्थान है।
संस्कृत भाषा का अध्ययन और प्रचार-प्रसार न केवल भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने में सहायक है, बल्कि यह आधुनिक विज्ञान, गणित और दर्शन के अध्ययन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पाणिनि द्वारा रचित अष्टाध्यायी जैसी व्याकरण पुस्तकों ने संस्कृत भाषा को एक मजबूत आधार प्रदान किया है।
स्वामी जी ने कहा कि संस्कृत एक दिव्य भाषा है; वेदों की भाषा है और देवों की भाषा है। यह सभी भारतीय भाषाओं का मूल है और कई भाषाओं की जन्मदात्री भी है। अपने बच्चों को हमारी देव भाषा से जोडं़े और उसे जीवंत और जागृत बनायें रखे।
स्वामी जी ने रिचर्ड वर्मा परिवार को भारतीय मूल, संस्कारों व संस्कृति से जुड़ने व जोड़ने का संदेश दिया। रक्षाबंधन की स्मृतियों को बनाये रखने के लिये रूद्राक्ष के पौधों का रोपण किया।