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महाकुंभ मेले में तीन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अंकित.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रमाण पत्र सौंपे गए

हरिद्वार,

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने भव्य महाकुंभ मेले के दौरान स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक विरासत में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए तीन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अपने नाम किए हैं।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रमाण पत्र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपे गए। इस अवसर पर प्रयागराज मेला प्राधिकरण के मेलाधिकारी श्री विजय किरण आनंद और वर्ल्ड रिकॉर्ड रणनीतिकार निश्चल बारोट भी उपस्थित थे। निश्चल बारोट ने इन रिकॉर्ड प्रयासों की योजना और निष्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पहला गिनीज रिकॉर्ड कई स्थानों पर सबसे अधिक लोगों द्वारा फर्श की सफाई का है, जिसमें 19,287 प्रतिभागियों ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत योगदान दिया। इस पहल ने सार्वजनिक स्वच्छता बनाए रखने और सफाई को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को मजबूत किया।

दूसरा रिकॉर्ड कई स्थानों पर सबसे अधिक प्रतिभागियों द्वारा नदी सफाई अभियान का है, जिसमें 329 स्वयंसेवकों ने प्रयागराज की पवित्र नदियों की सफाई में भाग लिया और नमामि गंगे मिशन का समर्थन किया। इस पहल ने जल संरक्षण और कचरा प्रबंधन के महत्व को रेखांकित किया।

तीसरा रिकॉर्ड आठ घंटे में सबसे अधिक लोगों द्वारा हैंडप्रिंट पेंटिंग बनाने का है, जिसमें 10,102 प्रतिभागियों ने समुद्र मंथन की पौराणिक घटना को दर्शाने वाली भव्य कलाकृति तैयार की। यह पेंटिंग महाकुंभ मेले के सांस्कृतिक महत्व को प्रतिबिंबित करने के साथ-साथ एकता, भक्ति और आध्यात्मिक सद्भाव का प्रतीक बनी।

वर्ल्ड रिकॉर्ड रणनीतिकार निश्चल बारोट ने कहा कि इन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स को हासिल करना केवल एक मानक स्थापित करना नहीं है, बल्कि करोड़ों लोगों को स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूक करने की प्रेरणा देना है। उन्होंने जनभागीदारी और सफल आयोजन को उत्तर प्रदेश के लोगों की सामूहिक शक्ति और प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज मेला प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश के नागरिकों के प्रयासों की सराहना की और इन रिकॉर्ड उपलब्धियों को साकार करने में उनकी सक्रिय भागीदारी की प्रशंसा की। उन्होंने महाकुंभ मेले के वैश्विक महत्व को रेखांकित किया, इसे केवल एक आध्यात्मिक संगम ही नहीं बल्कि स्वच्छता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का एक प्रभावी मंच भी बताया।

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