नाम फाउंडेशन को ‘‘रजत की बूँदें राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2025’’ से सम्मानित किया गया.


ऋषिकेश।
नाम फाउंडेशन, जो महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित इलाकों में किसानों के कल्याण हेतु काम कर रहा है, को ‘रजत की बूँदें राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2025’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार नाम फाउंडेशन के प्रमुख कार्यों और जल संरक्षण, पर्यावरणीय उत्थान, और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में किए गए अद्वितीय कार्यों हेतु दिया गया है।
यह सम्मान परमार्थ निकेतन, माँ गंगा के पावन तट पर प्रदान किया गया, जिसमें स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने नाम फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री गणेश थोराट को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया।
नाम फाउंडेशन के अध्यक्ष, प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता श्री नाना पाटेकर जी ने पुरस्कार मिलने पर खुशी व्यक्त करते हुये कहा कि यह पुरस्कार हमारे फाउंडेशन के लिए केवल एक सम्मान नहीं बल्कि एक प्रेरणा का स्रोत है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के करकमलों से इस पुरस्कार का प्राप्त होना हमारे लिए गौरव का विषय है। यह हमें और अधिक प्रेरित करता है ताकि हम अपने मिशन में आगे बढ़ सकें और हमारे कार्यों से समाज और पर्यावरण की भलाई हो सके।
आज अंतर्राष्ट्रीय ग्लेशियर दिवस के अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि ग्लेशियर पृथ्वी के ताजे पानी का एक बड़ा स्रोत हैं, जो नदियों और जलाशयों के रूप में मनुष्यों और अन्य जीवों के लिए जीवनदायिनी साबित होते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे समुद्र स्तर में वृद्धि और जल संकट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। यह दिन हमारे लिए एक प्रेरणा है कि हम ग्लेशियरों और जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर ध्यान दें और वैश्विक स्तर पर ठोस कदम उठाएं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने फाउंडेशन के कार्यों की सराहना करते हुए कहा, नाम फाउंडेशन न केवल किसानों की मदद करता है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए भी गंभीर प्रयास कर रहा है। इस तरह के संगठन समाज के उत्थान में एक मील का पत्थर साबित होते हैं।
इस अवसर पर, स्वामी जी ने फाउंडेशन के प्रतिनिधियों को आगामी समय में और अधिक प्रभावशाली कार्य करने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने आशा व्यक्त की कि नाम फाउंडेशन भविष्य में जल संरक्षण और पर्यावरण सुधार के क्षेत्र में और अधिक उल्लेखनीय कार्य करेगा।
नाम फाउंडेशन का यह पुरस्कार हर उस किसान, महिला और युवा के लिए भी प्रेरणा है, जो देश में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। फाउंडेशन का उद्देश्य किसानों की भलाई करना है, साथ ही सम्पूर्ण समाज को एक सशक्त और स्थायी भविष्य की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करना भी है।
नाम फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री गणेश थोराट जी ने कहा कि यह सम्मान श्री नाना पाटेकर जी और हमारे सभी सहयोगियों और योगदानकर्ताओं की कड़ी मेहनत का परिणाम है। हम सभी ने मिलकर जो कार्य किया है, वह ही इस पुरस्कार का कारण है।
नाम फाउंडेशन के लिए यह पुरस्कार निश्चित रूप से एक नई दिशा और ऊर्जा का स्रोत बनेगा। यह न केवल फाउंडेशन के समर्थकों के लिए गर्व का पल है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को यह संदेश देता है कि अगर हम सब मिलकर काम करें, तो हम अपने समाज और पर्यावरण में बड़े बदलाव ला सकते हैं।
नाम फाउंडेशन की स्थापना नाना पाटेकर और मकरंद अनासपुरे ने 2015 में की थी, जब उन्होंने महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में किसानों और उनके परिवारों की मदद करने का संकल्प लिया था। फाउंडेशन ने शुरूआत में किसानों के आत्महत्या करने वाले परिवारों को सहायता प्रदान की और धीरे-धीरे उनका कार्य क्षेत्र बढ़ता गया। आज, नाम फाउंडेशन ना केवल आर्थिक मदद करता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण, जलसंचय, वृक्षारोपण और अन्य सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रूप से भागीदार है।
इस पुरस्कार के साथ नाम फाउंडेशन को विशेष रूप से जल संरक्षण और वृक्षारोपण के लिए सराहा गया है। फाउंडेशन ने 1 करोड़ पेड़ लगाने के लक्ष्य को निर्धारित किया है और इसके साथ ही जल संरक्षण के उपायों को भी प्राथमिकता दी है। इसके तहत जल संग्रहण, वर्षा जल संचयन और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल पुनर्भरण जैसे अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।