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मंगलोर विधानसभा सीट में मुख्यमंत्री धामी और चुनाव संयोजक स्वामी यतिश्वरानंद ने पार्टी को खड़ा किया,

सोमवार को होने वाली भाजपा की प्रदेश कार्य समिति की बैठक में होगी विधानसभा के चुनाव की समीक्षा
हरिद्वार।
भले ही भाजपा हरिद्वार जिले की मुस्लिम बाहुल्य मंगलौर विधानसभा सीट 422 वोटो के मामूली अंदर से हार गई हो परंतु यहां पर पार्टी को खड़ा करने में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और चुनाव संयोजक पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद महाराज कामयाब रहे। भाजपा अब तक मंगलोर विधानसभा क्षेत्र में कभी भी मुकाबले में नहीं रही उत्तराखंड राज्य बनने के 24 सालों में भाजपा यहां पर तीसरे नंबर पर आती रही और बहुत कम वोट पाती रही। परंतु इस बार मुख्यमंत्री धामी और स्वामी यतीश्वरानंद के प्रयासों से पार्टी खड़ी हुई बल्कि जमकर लड़ी। और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा दूसरे नंबर पर आई।


हाल में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मंगलोर विधानसभा क्षेत्र में केवल 21000 वोट प्राप्त किए थे। और भाजपा मात देते हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मंगलोर विधानसभा क्षेत्र में 31000 से चुनाव में आगे रही और अब एक महीने बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वामी यतीश्वरानंद महाराज के मार्गदर्शन में विधानसभा चुनाव लड़ा और पार्टी को 31000 से ज्यादा वोट पड़े यानी लोकसभा चुनाव से 10000 से ज्यादा वोट भाजपा ने हासिल किया इस विधानसभा उपचुनाव में। जो पार्टी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। जबकि मंगलोर विधानसभा सीट में भाजपा के लिए सामाजिक समीकरण बिल्कुल उल्टे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशन में स्वामी यतीश्वरानंद महाराज ने मंगलोर विधानसभा क्षेत्र को मानों मथ कर रख दिया। गांव गांव में जाकर उन्होंने रात दिन सैकड़ो जनसभा की नुक्कड़ सभा की घर-घर गए और यहां भाजपा के पक्ष में चुनाव खड़ा कर दिया। इसका श्रेय पूरी तरह से स्वामी यतिश्वरानंद महाराज को जाता है। वे हरिद्वार छोड़कर मंगलोर में ही डेरा डाले रहे। राजनीति विश्लेषक प्रोफेसर धर्मेंद्र कहते हैं कि स्वामी जी की मेहनत से भाजपा आज यहां पर खड़ी हुई है और भविष्य में मंगलौर विधानसभा की सट
भाजपा की झोली में जा सकती है । यदि इसी तरह भाजपा स्वामी जी के नेतृत्व में यहां पर काम करती रही। लोगों का मानना है कि यदि स्वामी यतिश्वरानंद महाराज यहां से चुनाव लड़ते तो यह सीट निश्चित भाजपा की झोली में जाती। विधानसभा के उपचुनाव में स्वामी यतिश्वरानंद की छवि एक संगठनात्मक नेता के रूप में प्रस्तुत की है।
मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीटें भाजपा के कब्जे वाली नहीं थी, लेकिन पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व चाहता था कि ये दोनों सीटें भाजपा की झोली में जाएं ताकि जीत के जरिये पार्टी आसन्न निकाय चुनाव में अपने पक्ष में वातावरण बना सके। दोनों सीटों पर मिली शिकस्त के बाद अब भाजपा के दिग्गजों को केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष हार के कारणों का हिसाब देना होगा। 15 जुलाई को होने वाली पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी इस मुद्दे पर मंथन होगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कहते हैं, हार से भी सबक लिया जाता है। इसलिए कार्यसमिति की बैठक में दोनों सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजों की समीक्षा होगी। जहां कमी होती है, उसे दूर की जाती है। मैं इस हार को स्वीकार करता हूं। लेकिन भाजपा जिस स्थान पर खड़ी थी, उसी स्थान पर है। कांग्रेस की जीत पर उन्होंने कहा कि वह अपने दम पर नहीं लड़ी, उसे यूकेडी, वामपंथी पार्टियों का समर्थन था। कांग्रेस को जवाब मंगलौर की जनता ने दिया। कांग्रेस की प्रचंड जीत नहीं हो पाई और वह 422 वोटों के अंतर पर सिमट गई। हम मंगलौर में बढ़े हैं।

भाजपा ने उपचुनाव में दिग्गजों को झोंका था
भाजपा ने विधानसभा उपचुनाव में अपनी पार्टी के सभी दिग्गजों को झोंका था। बदरीनाथ सीट पर गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी को पालक बनाया गया था। कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में एक टीम बदरीनाथ में लगातार कैंप कर रही थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस सीट पर प्रचार किया। धामी कैबिनेट के मंत्री भी बारी-बारी से वहां प्रचार करने पहुंचे। लेकिन उनके प्रयास नाकाफी रहे और भाजपा चुनाव हार गई। मंगलौर में हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत को पार्टी ने विस पालक बनाया था। यहां पार्टी सांसदों और विधायकों की एक टीम लगातार पार्टी प्रत्याशी के समर्थन लगातार डेरा जमाए हुए थी।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व दोनों विधानसभा सीटों पर हुई पराजय को लेकर पार्टी दिग्गजों से जवाब लेगा। माना जा रहा है कि प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व स्तर पर जल्द ही उपचुनाव में मिली हार की समीक्षा होगी और उन कारणों की पड़ताल की जाएगी, जिनकी वजह से भाजपा चुनाव नहीं जीत पाई।

मंगलोर विधानसभा सीट में मुख्यमंत्री धामी और चुनाव संयोजक स्वामी यतिश्वरानंद ने पार्टी को खड़ा किया,

सोमवार को होने वाली भाजपा की प्रदेश कार्य समिति की बैठक में होगी विधानसभा के चुनाव की समीक्षा
हरिद्वार।
भले ही भाजपा हरिद्वार जिले की मुस्लिम बाहुल्य मंगलौर विधानसभा सीट 422 वोटो के मामूली अंदर से हार गई हो परंतु यहां पर पार्टी को खड़ा करने में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और चुनाव संयोजक पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद महाराज कामयाब रहे। भाजपा अब तक मंगलोर विधानसभा क्षेत्र में कभी भी मुकाबले में नहीं रही उत्तराखंड राज्य बनने के 24 सालों में भाजपा यहां पर तीसरे नंबर पर आती रही और बहुत कम वोट पाती रही। परंतु इस बार मुख्यमंत्री धामी और स्वामी यतीश्वरानंद के प्रयासों से पार्टी खड़ी हुई बल्कि जमकर लड़ी। और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा दूसरे नंबर पर आई।
हाल में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मंगलोर विधानसभा क्षेत्र में केवल 21000 वोट प्राप्त किए थे। और भाजपा मात देते हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मंगलोर विधानसभा क्षेत्र में 31000 से चुनाव में आगे रही और अब एक महीने बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वामी यतीश्वरानंद महाराज के मार्गदर्शन में विधानसभा चुनाव लड़ा और पार्टी को 31000 से ज्यादा वोट पड़े यानी लोकसभा चुनाव से 10000 से ज्यादा वोट भाजपा ने हासिल किया इस विधानसभा उपचुनाव में। जो पार्टी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। जबकि मंगलोर विधानसभा सीट में भाजपा के लिए सामाजिक समीकरण बिल्कुल उल्टे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशन में स्वामी यतीश्वरानंद महाराज ने मंगलोर विधानसभा क्षेत्र को मानों मथ कर रख दिया। गांव गांव में जाकर उन्होंने रात दिन सैकड़ो जनसभा की नुक्कड़ सभा की घर-घर गए और यहां भाजपा के पक्ष में चुनाव खड़ा कर दिया। इसका श्रेय पूरी तरह से स्वामी यतिश्वरानंद महाराज को जाता है। वे हरिद्वार छोड़कर मंगलोर में ही डेरा डाले रहे। राजनीति विश्लेषक प्रोफेसर धर्मेंद्र कहते हैं कि स्वामी जी की मेहनत से भाजपा आज यहां पर खड़ी हुई है और भविष्य में मंगलौर विधानसभा की सट
भाजपा की झोली में जा सकती है । यदि इसी तरह भाजपा स्वामी जी के नेतृत्व में यहां पर काम करती रही। लोगों का मानना है कि यदि स्वामी यतिश्वरानंद महाराज यहां से चुनाव लड़ते तो यह सीट निश्चित भाजपा की झोली में जाती। विधानसभा के उपचुनाव में स्वामी यतिश्वरानंद की छवि एक संगठनात्मक नेता के रूप में प्रस्तुत की है।
मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीटें भाजपा के कब्जे वाली नहीं थी, लेकिन पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व चाहता था कि ये दोनों सीटें भाजपा की झोली में जाएं ताकि जीत के जरिये पार्टी आसन्न निकाय चुनाव में अपने पक्ष में वातावरण बना सके। दोनों सीटों पर मिली शिकस्त के बाद अब भाजपा के दिग्गजों को केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष हार के कारणों का हिसाब देना होगा। 15 जुलाई को होने वाली पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी इस मुद्दे पर मंथन होगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कहते हैं, हार से भी सबक लिया जाता है। इसलिए कार्यसमिति की बैठक में दोनों सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजों की समीक्षा होगी। जहां कमी होती है, उसे दूर की जाती है। मैं इस हार को स्वीकार करता हूं। लेकिन भाजपा जिस स्थान पर खड़ी थी, उसी स्थान पर है। कांग्रेस की जीत पर उन्होंने कहा कि वह अपने दम पर नहीं लड़ी, उसे यूकेडी, वामपंथी पार्टियों का समर्थन था। कांग्रेस को जवाब मंगलौर की जनता ने दिया। कांग्रेस की प्रचंड जीत नहीं हो पाई और वह 422 वोटों के अंतर पर सिमट गई। हम मंगलौर में बढ़े हैं।

भाजपा ने उपचुनाव में दिग्गजों को झोंका था
भाजपा ने विधानसभा उपचुनाव में अपनी पार्टी के सभी दिग्गजों को झोंका था। बदरीनाथ सीट पर गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी को पालक बनाया गया था। कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में एक टीम बदरीनाथ में लगातार कैंप कर रही थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस सीट पर प्रचार किया। धामी कैबिनेट के मंत्री भी बारी-बारी से वहां प्रचार करने पहुंचे। लेकिन उनके प्रयास नाकाफी रहे और भाजपा चुनाव हार गई। मंगलौर में हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत को पार्टी ने विस पालक बनाया था। यहां पार्टी सांसदों और विधायकों की एक टीम लगातार पार्टी प्रत्याशी के समर्थन लगातार डेरा जमाए हुए थी।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व दोनों विधानसभा सीटों पर हुई पराजय को लेकर पार्टी दिग्गजों से जवाब लेगा। माना जा रहा है कि प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व स्तर पर जल्द ही उपचुनाव में मिली हार की समीक्षा होगी और उन कारणों की पड़ताल की जाएगी, जिनकी वजह से भाजपा चुनाव नहीं जीत पाई।

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