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देश के 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पतंजलि योगपीठ में ध्वजारोहण।

पतंजलि संस्थान शिक्षा, चिकित्सा, आर्थिक, सांस्कृतिक व वैचारिक आजादी के साथ रोग व नशा, वासनाओं से इस देश को आजाद कराने के लिए संकल्पित : स्वामी रामदेव

शहीदों के स्वप्नों को पूरा करने में पतंजलि प्रयासरत : आचार्य बालकृष्ण

हरिद्वार, देश के 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पतंजलि योगपीठ व पतंजलि विश्वविद्यालय के अध्यक्ष स्वामी रामदेव जी तथा पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण जी ने ध्वजारोहण कर सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ दी। ध्वजारोहण के पश्चात राष्ट्रगीत वंदे मातरम् से सम्पूर्ण वातावरण राष्ट्रप्रेम के रंग में रंगा नजर आया।
कार्यक्रम में स्वामी रामदेव जी ने कहा कि भारत की आजादी के लिए भारत के पाँच लाख से ज्यादा वीर-वीरांगनाओं व ऋषि-ऋषिकाओं ने बलिदान दिया। हमने आजादी के 78वें स्वाधीनता दिवस पर यह संकल्प लिया है कि इस देश में राजनैतिक आजादी के साथ-साथ शिक्षा, चिकित्सा, आर्थिक, सांस्कृतिक व वैचारिक आजादी एवं रोग व नशा, वासनाओं से इस देश को आजादी दिलाएँगे। इन 5 प्रकार की आजादी के अभियान को मुखर रूप से देश में बढ़ाएँगे और भारत को स्वस्थ, समृद्ध और संस्कारवान और परम वैभवशाली बनाने के लिए पतंजलि की ओर से एक बड़ी भूमिका निभाएँगे।
उन्होंने कहा कि मैकाले की शिक्षा पद्धति के कारण पढ़े-लिखे बेरोजगार लोगों की फौज तैयार हो रही है जो भविष्य में सामाजिक विद्रोह का कारण बन सकती है। हम पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से ऐसी संस्कारमूलक शिक्षा के बीज इस देश में बोएँगे जिससे देश की नई पीढ़ी को शिक्षा की स्वाधीनता मिले। उन्होंने कहा कि एलोपैथी की जहरीली दवा खाकर करोड़ों लोगों की मौत हर साल हो रही है। पतंजलि वेलनेस, योगग्राम, निरामयम् आदि चिकित्सा की आजादी का आंदोलन है।
स्वामी जी ने कहा कि बांग्लादेश, श्रीलंका, मीडिल ईस्ट, पाकिस्तान व अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ, इसमें वैश्विक ताकतें षड्यंत्र करती रही हैं और आगे भी करती रहेंगी। भारत में ऐसा न हो इसका एक ही समाधान है कि भारत की एकता, अखण्डता और सम्प्रभुता को हम बनाकर रखा जाए। भारत को इतना शक्तिशाली बना दें कि भारत के पड़ोसी देश कोई षड्यंत्र न कर सकें। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं, उनके व्यवसायिक प्रतिष्ठनों तथा मंदिरों पर जो हमले हो रहे हैं, वहाँ की सरकार उन्हें तुरंत रोके अन्यथा हम राजनैतिक, कूटनीतिक और वैश्विक दृष्टि से इतने सक्षम हैं कि हमारे निर्दोष हिन्दुओं पर यह अत्याचार नहीं रूका तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। वहाँ कि नफरत फैलाने वाली, मजहबी उन्माद में डूबी ताकतें हैं उन्हें सबक लेना चाहिए, नहीं तो उनका भी समूल नाश होगा।
जातीय जनगणना के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि सड़कों से लेकर संसद तक जातीय उन्माद, मजहबी उन्माद देश में पैदा करके कुछ लोग सत्ता पाने के सपने देख रहे हैं। हमें किसी भी कीमत पर देश में मजहबी उन्माद, जातीय उन्माद, भाषावाद, प्रांतवाद और अलग-अलग प्रकार के वैचारिक उन्माद से देश को बचाना है। देश की सीमाओं पर सैनिकों की शहादत के प्रश्न पर स्वामी जी ने कहा कि सरहदों की रक्षा के लिए शहादतों का सिलसिला किसी भी समर्थ व सक्षम देश के लिए शोभनीय नहीं है। हमें ऐसे प्रयत्न करने पड़ेंगे की शहादत कम से कम हो और यदि कोई शहादत होती भी है तो एक के बदले दस सिर काटने का सामर्थ्य भारत का दिखना चाहिए।
कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि जिस संकल्प के साथ वीरों, शहीदों ने इस देश को स्वतंत्र कराने के लिए अपनी आहुति दी, हमें इस स्वतंत्र वायुमण्डल में जीने का अधिकार दिया, उनको स्मरण करते हुए, उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम अपने देश के निर्माण के लिए सर्वविद प्रयास करके उन वीर-शहीदों के सपनों के देश का निर्माण करने में अपनी भूमिका निभाएँ। इसी कार्य के लिए पतंजलि योगपीठ अहर्निश संलग्न है। स्वामी जी के नेतृत्व में वीर, शहीद, क्रांतिकारियों को न केवल हम स्मरण कर रहे हैं अपितु उन्होंने जो स्वप्न देखा था उसे साकार करने के लिए हम प्रयासरत हैं।
कार्यक्रम में पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम् तथा पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति से ओतप्रोत सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने उपस्थित लोगों के मन में राष्ट्रप्रेम की भावना का संचार किया।
इस अवसर पर नेपाल राष्ट्र के प्रबुद्धजनों सहित संस्थान से सम्बद्ध सभी इकाईयों तथा शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारी, कर्मयोगी, छात्र-छात्राएँ तथा पतंजलि संन्यासाश्रम के संन्यासी भाई व साध्वी बहन उपस्थित रहे।

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