महंत श्री चाँदनाथ जी योगी का आठमान भण्डारा व शंखढाल, मूर्ति-प्राण प्रतिष्ठा एवं देशमेला
परमसिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी की असीम कृपा से श्री बाबा मस्तनाथ जी की पुनर्निर्मित समाधि पर कलश स्थापना
नाथ सम्प्रदाय भारत की अद्भुत संस्कृति
पूज्य संत गोरक्षनाथ समाधि मंदिर का लोकार्पण
सरसंघचालक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, माननीय श्री मोहन भागवत जी, मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ जी, योगगुरू रामदेव जी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, महामंडलेश्वर स्वामी श्री धर्मदेव जी, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतना नन्द जी, गीता ज्ञान संस्थामन् स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी, स्वामी ब्रह्मानन्द जी महाराज, शान्तिकुंज से डा चिन्मय पण्डया जी, श्री चिन्नाश्रीमण नारायण जी स्वामी, स्वामी निर्मलानन्द जी, गोस्वामी सुशील जी, आदि पूज्य संतों का पावन सान्निध्य
श्री व्ही के सिंह जी, श्री रामलाल जी आदि राजनीतिज्ञों ने किया सहभाग
श्री मंहत बालकनाथ जी महाराज को इस दिव्य कार्यक्रम हेतु सभी ने दिया साधुवाद
सनातन बीमारी नहीं, सनातन इलाज है, सनातन समस्या नहीं ,सनातन समाधान है, सनातन रोग नहीं, सनातन योग है जो सब को जोड़ता है
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश/रोहतक, 12 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने महंत श्री चाँदनाथ जी योगी का आठमान भण्डारा व शंखढाल, मूर्ति-प्राण प्रतिष्ठा एवं देशमेला एवं पूज्य संत गोरक्षनाथ समाधि मंदिर का लोकार्पण कार्यक्रम में सहभाग किया। इस दिव्य अवसर पर सरसंघचालक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, माननीय मोहन भागवत जी, मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ जी, भारत के विभिन्न सम्प्रदायों के पूज्य संतों, महंतों, महामंडलेश्वर और आचार्यों ने सहभाग किया।
सरसंघचालक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, माननीय श्री मोहन भागवत जी ने कहा कि हमारी संस्कृति सामुहिकता की संस्कृति है, सामुहिक पुरूषार्थ की संस्कृति है। हमारी संस्कृति समत्व पर आधारित है; सत्य पर आधारित है। हमें देश के लिये, सामुहिक पुरूषार्थ के लिये कार्य करना चाहिये। यह दुनिया समर्पण पर आधारित है। सामुहिकता की संस्कृति को जीवन में लाना ही सनातन संस्कृति है।
उन्होंने कहा कि हमें आज संकल्प करना चाहिये कि सत्य पर चलना, संबंधों पर चलना, अपनेपन के आधार पर चलना है। देश, धर्म, संस्कृति पहले इस सूत्र पर हमें चलना है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जिस धरती के शासक मन से संत नहीं होते, उस धरती की पीड़ाओं के अंत नहीं होते। वर्तमान समय में हमारे पास ऐसे शासक है जो मन और हृदय से संत है। संत अपने लिये नहीं समाज के लिये जीते हैं और जो समाज के लिये जीते हैं वे सदा ही जीवंत बने रहते हैं।
उन्होंने कहा कि बाबा मस्तराम जी ने बताया कि जब हम अपने आप को समाज को समर्पित कर देते है ंतो जीवन में मस्ती भी बनी रहती है और हस्ती भी बनी रही है और यही किया बाबा मस्तराम जी ने उन्होंने अपने सभी शिष्यों को समाज के लिये समर्पित कर दिया।
स्वामी जी ने कहा कि आज इस धरती पर यदि कोई समाधान है तो वह है सनातन। सनातन सब की बात करता है, सब के लिये जीने की बात करता है। सनातन कभी विध्वंस की नहीं बल्कि निर्माण की बात करता है। सनातन बचेगा तो हम सब बचेंगे, पर्व, त्यौहार और परम्परायें बचेगी। सनातन से तात्पर्य है जहां समानता हो, समता हो, सद्भाव हो, जहां समता, समानता और सद्भाव की त्रिवेणी बहती हो वही तो सनातन है। आज पूरा विश्व विज्ञान की बात कर रहा है परन्तु यह दृष्टि सनातन से प्राप्त होती है। वर्तमान समय में विज्ञान और सनातन दोनों साथ-साथ चले। हमें बाहरी दुनिया के लिये विज्ञान चाहिये परन्तु भीतर के लिये सनातन ज्ञान चाहिये हमें दोनों में सेतु बनाने की जरूरत है।
स्वामी जी ने कहा कि सनातन बीमारी नहीं है सनातन इलाज है, सनातन समस्या नहीं सनातन समाधान है, सनातन रोग नहीं है, सनातन योग है जो सब को जोड़ता है। सनातन दिलों को जोड़ता हैं, दीवारों को तोड़ता है, सभी का समत्व ही सनातन है।
श्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि नाथ सम्प्रदाय के मूल्यों और आदर्शो के अनुरूप आगे बढ़ने वाले श्री मंहत बालकनाथ जी को साधुवाद। यह सम्प्रदाय सनातन संस्कृति का संवाहक है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इस दिव्य कार्य के लिये श्री बालकनाथ जी को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।