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आईआईटी रुड़की ने एस²-स्टैप2025 एवं आईपीएससी-2025 को हरी झंडी दिखाई, अंतरिक्ष स्थिरता के एक नए युग की शुरुआत.

आईआईटी रुड़की ने एस²-स्टैप2025 एवं आईपीएससी-2025 को हरी झंडी दिखाई, अंतरिक्ष स्थिरता के एक नए युग की शुरुआत

  • इसरो के अध्यक्ष, वैश्विक विशेषज्ञ एवं उद्योग जगत के अग्रणी भविष्य के ग्रहीय मिशनों और सतत अंतरिक्ष प्रथाओं पर चर्चा करेंगे
  • दो दिवसीय सम्मेलन में अंतरिक्ष नवाचार, अंतरिक्ष में एआई और भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम पर चर्चा की जाएगी
  • आईआईटी रुड़की ने पृथ्वी से परे एक सतत भविष्य के लिए अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और उद्योग जगत के अग्रदूतों को एकजुट किया
  • नीति से नवाचार तक: आईआईटी रुड़की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में सतत विकास का चैंपियन है

रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने 6वें भारतीय ग्रह विज्ञान सम्मेलन आईपीएससी के साथ-साथ ‘स्थिरता हेतु अंतरिक्ष: विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा एवं नीति’ (एस²-स्टैप2025) पर प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। आईआईटी रुड़की के अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (सीएसएसटी) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य स्थायी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों, ग्रहों की खोज और शिक्षा-उद्योग सहयोग पर वैश्विक चर्चाओं को आगे बढ़ाना है।

जैसे-जैसे दुनिया गहन वैश्विक चुनौतियों से जूझ रही है, अंतरिक्ष अन्वेषण, विज्ञान शिक्षा, नीति निर्माण और तकनीकी नवाचार का प्रतिच्छेदन स्थायी सामाजिक विकास के लिए आशा की किरण के रूप में खड़ा है। एस²-स्टैप2025 एक लचीले एवं न्यायसंगत भविष्य को आकार देने में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी क्षमता का पता लगाने के लिए एक गतिशील मंच के रूप में कार्य करता है। यह सम्मेलन अंतरिक्ष अन्वेषण, विज्ञान शिक्षा, नीति निर्माण और अत्याधुनिक तकनीकी प्रगति के बीच सहजीवी संबंध पर विचार-विमर्श करने के लिए विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और शिक्षकों को एक साथ लाता है। साथ ही, 6वां भारतीय ग्रह विज्ञान सम्मेलन (आईपीएससी-2025) ग्रह विज्ञान में हाल की प्रगति के लिए एक समर्पित मंच के रूप में कार्य करता है, जिसमें सौर मंडल में ग्रहों के पिंडों के वायुमंडल, सतह और आंतरिक भाग, ग्रहीय प्रक्रियाएँ और सौर मंडल के शुरुआती विकास जैसे विषयों को शामिल किया जाता है।

सम्मेलन का उद्देश्य एक मजबूत अंतरिक्ष शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है, हितधारकों को तेजी से बढ़ते अंतरिक्ष क्षेत्र में उभरते अवसरों और चुनौतियों को नेविगेट करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करना है, साथ ही अंतरिक्ष-आधारित प्रौद्योगिकियों और सेवाओं के सामाजिक लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह अंतरिक्ष विज्ञान में नवीनतम प्रगति, विशेष रूप से आपदा न्यूनीकरण, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन एवं सतत विकास में उनके अनुप्रयोगों पर विचार-विमर्श की सुविधा प्रदान करेगा। अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं में लागत-प्रभावशीलता और नवाचार पर जोर देते हुए, प्रक्षेपण वाहनों, उपग्रहों और संबंधित बुनियादी ढांचे में तकनीकी प्रगति का मूल्यांकन करने पर मुख्य ध्यान दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सम्मेलन राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नीतिगत चर्चाओं को आगे बढ़ाएगा, जिससे अंतरिक्ष शासन और स्थिरता ढांचे के भविष्य को आकार मिलेगा। अंत में, विशेषज्ञ ग्रहों, चंद्रमाओं और क्षुद्रग्रहों की संभावित भविष्य की रहने की क्षमता और संसाधन उपयोग के लिए खोज करेंगे, यह सुनिश्चित करते हुए कि अंतरिक्ष मिशन और ग्रह अध्ययन उनके मूल में स्थिरता के साथ किए जाते हैं।

सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में इसरो के अध्यक्ष एवं अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी. नारायणन ने किया, तथा भारत कोरिया अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र (आईकेसीआरआई) के निदेशक डॉ. यंग हो किम ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर के. के. पंत ने की।

अपने मुख्य भाषण में इसरो के अध्यक्ष एवं अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) के सचिव डॉ. वी. नारायणन ने जोर देकर कहा, “अंतरिक्ष अन्वेषण का भविष्य टिकाऊ और जिम्मेदार प्रथाओं पर टिका है। भारत अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित करने में सबसे आगे है जो हमारे ग्रह मिशनों और गहरे अंतरिक्ष अन्वेषणों को आगे बढ़ाएंगे।”

भारत कोरिया अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र (आईकेसीआरआई) के निदेशक डॉ. यंग हो किम ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, “अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोगात्मक अनुसंधान स्थिरता सुनिश्चित करने की कुंजी है। भारत-कोरिया साझेदारी वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। उन्होंने एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी एवं नीति में प्रगति पर जोर दिया: भारत-कोरिया विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग को मजबूत करना।”

गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए सीएसएसटी के प्रमुख एवं सम्मेलन अध्यक्ष प्रोफेसर संजय उपाध्याय ने कहा, “यह सम्मेलन अंतरिक्ष स्थिरता के भविष्य को आकार देने के लिए विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक साथ लाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।”

अध्यक्षीय भाषण देते हुए, आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के. के. पंत ने कहा, “आईआईटी रुड़की में, हम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, ग्रह विज्ञान एवं सतत विकास में अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह सम्मेलन इन क्षेत्रों में नवाचार एवं क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है।”

इस सत्र में आईआईटी रुड़की के उप निदेशक प्रोफेसर यूपी सिंह और आईएन-स्पेस के निदेशक डॉ विनोद कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए, जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को मजबूत करने में शिक्षा-उद्योग सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

  • अंतिम सत्र को इन-स्पेस के निदेशक डॉ. विनोद कुमार संबोधित करेंगे, जो भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में विकसित हो रहे स्टार्टअप इकोसिस्टम पर प्रकाश डालेंगे।
  • उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकोस्ट) के महानिदेशक डॉ. दुर्गेश पंत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नवाचार एवं उद्यमिता के लिए उत्तराखंड सरकार के समर्थन पर चर्चा करेंगे।
  • अन्य प्रतिष्ठित वक्ताओं में श्री प्रतीक जैन, आईएएस, प्रबंध निदेशक, सिडकुल शामिल हैं, जिन्होंने उत्तराखंड उद्योगों एवं राज्य में अंतरिक्ष डोमेन विकास की संभावनाओं का अवलोकन दिया और प्रो. दीपांकर बनर्जी, निदेशक, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) ने भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी संस्थान में भारत में अंतरिक्ष शिक्षा की झलक दिखाई।

सम्मेलन में तकनीकी सत्र, मुख्य व्याख्यान और ग्रहीय मिशन, अंतरिक्ष में एआई एवं अंतरिक्ष उद्योग में स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर पैनल चर्चाएं जारी रहेंगी।

एस²-स्टैप2025 एवं आईपीएससी-2025 सम्मेलन भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत (स्व-निर्भर भारत) एवं राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाने में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में स्वदेशी नवाचार, स्थिरता एवं वैश्विक नेतृत्व पर जोर देता है। चूंकि भारत गगनयान, चंद्रयान और आगामी ग्रह अभियानों सहित अपने अंतरिक्ष मिशनों को गति दे रहा है, इसलिए यह सम्मेलन अंतरिक्ष में दीर्घकालिक स्थिरता प्राप्त करने में शिक्षा-उद्योग-सरकार के सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका को पुष्ट करता है। अत्याधुनिक अनुसंधान एवं नवाचार में अपनी मजबूत नींव के साथ, आईआईटी रुड़की जलवायु-लचीले बुनियादी ढांचे, एआई-संचालित अंतरिक्ष समाधान और अगली पीढ़ी की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों को आकार देने में योगदान देना जारी रखता है। ऐसी पहलों के माध्यम से, आईआईटी रुड़की अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की तकनीकी प्रगति और वैश्विक आकांक्षाओं का समर्थन करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

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