हरिद्वार पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने पिछले 1 साल में 100 से ज्यादा बच्चे किए रेस्क्यू।
घर से नाराज होकर या रास्ता भटक कर हरिद्वार पहुंचने वाले बच्चे भिक्षावृत्ति के दलदल में फंस रहे हैं, पुलिस और प्रशासन के सामने ऐसे कई मामले आ चुके हैं जब घर से नाराज होकर निकले कम उम्र के बच्चे हरिद्वार में गंगा घाटों पर भीख मांगते हुए पाए गए। देखिए रिपोर्ट
यूं तो धर्मनगरी हरिद्वार में साल भर चलने वाले भंडारों और श्रद्धालुओं के द्वारा किए जाने वाले दान के चलते हजारों की तादाद में भिखारी मौजूद रहते हैं। यहां हर की पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर आपको छोटे-बड़े, महिला-पुरुष सभी वर्गों के लोग भीख मांगते हुए मिल जाएंगे। लेकिन इनमें से कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो दूसरे राज्यों से अपने घर से नाराज होकर निकलते हैं। और नासमझी के कारण हरिद्वार में आकर भिक्षावृत्ति के दलदल में फंस जाते हैं। हरिद्वार पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने पिछले 1 साल में 100 से ज्यादा ऐसे बच्चों को रेस्क्यू कर उनके परिवार के सुपुर्द किया है जो सिर्फ नाराजगी के कारण ट्रेन में बैठकर हरिद्वार पहुंच गए थे और यहां जाकर भीख मांगने लगे।
हरिद्वार में कई ऐसे आश्रम है जहां लगातार भंडारे चलते रहते हैं इसके साथ ही हर की पैड़ी पर पहुंचने वाले श्रद्धालु भी खुलकर दान पुण्य करते हैं। इसलिए यहां भिक्षा वृत्ति का कारोबार भी बड़े पैमाने पर चलता है। ऐसे में कई बच्चे ना समझी के कारण हरिद्वार तो पहुंच जाते हैं लेकिन धीरे-धीरे वे इस रैकेट में फंस जाते हैं और जीवन भर के लिए भिक्षावृत्ति के दलदल में फंस जाते हैं।
बच्चों के भिक्षावृत्ति के दलदल में फंसने का एक मनोवैज्ञानिक पक्ष भी है। जानकार बताते हैं कि जो बच्चे घर में अपने मनोभावों को व्यक्त नहीं कर पाते वे अक्सर अवसाद का शिकार हो जाते हैं और घर छोड़ने जैसा बड़ा कदम भी उठा लेते हैं।