कैबिनेट मंत्री, औद्योगिक विकास विभाग, उत्तरप्रदेश श्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी जी पधारे परमार्थ निकेतन शिविर, कुम्भ प्रयागराज
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री, औद्योगिक विकास विभाग, श्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी जी आज परमार्थ निकेतन शिविर, कुम्भ प्रयागराज आये और विश्व शान्ति यज्ञ में आहुतियाँ समर्पित की।
श्री नंदी जी ने पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में पवित्र और दिव्य विश्व विख्यात संगम आरती अनुष्ठान में सहभाग किया।
श्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी के पावन सान्निध्य में आयोजित संगम आरती एक ऐसा दिव्य अनुष्ठान है, जो न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि पर्यावरण, सामाजिक और सांस्कृतिक जागरूकता के संदर्भ में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पूज्य स्वामी जी एकता, समरसता और सनातन धर्म के उच्चतम आदर्शों से जोड़ने के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं। उनके मार्गदर्शन में परमार्थ निकेतन शिविर एक ऐसा केंद्र बन चुका है, जहां दुनिया भर से श्रद्धालु साधना, ध्यान और समाज सेवा के कार्यों में संलग्न होते हैं। श्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी जी ने कहा कि संगम आरती एक ऐतिहासिक और अद्वितीय अनुभव है।
कुम्भ मेला एक ऐसी अद्भुत और ऐतिहासिक परंपरा है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह मेला भारत की संस्कृति, आध्यात्मिकता और परंपराओं का प्रतीक है। संगम आरती इस आयोजन का अभिन्न अंग है, जो श्रद्धालुओं को अपने भीतर की दिव्यता और परमात्मा के साथ जुड़ने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करती है। संगम के पवित्र जल में आस्था और श्रद्धा से डुबकी लगाना न केवल शारीरिक शुद्धता का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मिक उन्नति की दिशा में एक कदम और बढ़ने का अवसर भी है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि संगम आरती का उद्देश्य है कि हम सब मिलकर एकजुट हों और सनातन संस्कृति, पर्यावरण और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें। संगम आरती के माध्यम से जल, पृथ्वी और वायु के महत्व को लेकर सभी श्रद्धालुओं को जागरूक किया जा रहा है कि हमें अपनी प्राकृतिक धरोहर का सम्मान, संरक्षण व संवर्द्धन करना होगा और उसे बचाने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, हम सभी को यह समझना होगा कि पर्यावरण हमारी जीवनशैली का अभिन्न अंग है। यदि हम इसे बचाएंगे, तो यह हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी समृद्ध रहेगा। स्वामी जी ने मेरा कचरा-मेरी जिम्मेदारी का संदेश देते हुये कहा कि महाकुम्भ बाहर और भीतर के पर्यावरण को शुद्ध करने का दिव्य अवसर है। स्वामी जी ने युद्ध नहीं योग का संदेश दियां। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में किसी भी प्रकार की लड़ाई नहीं बल्कि संविधान रूपी दवाई की जरूरत है। हम सभी को मिलकर कुछ ऐसा करना है कि न मन, मैला हो न ही मेला, मैला हो। महाकुम्भ में जो भी चर्चा हो उस पर चिंतन हो मंथन हो और फिर वह जीवनचर्या का अंग बने।
स्वामी जी ने कहा कि कुम्भ मेला एक ऐसा वैश्विक मंच है जहां विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का आदान-प्रदान होता है।