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स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और प्रसिद्ध अभिनेत्री पद्मश्री हेमामालिनी जी की हुई दिव्य भेंटवार्ता

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और प्रसिद्ध अभिनेत्री व सांसद पद्मश्री हेमामालिनी जी की एक दिव्य भेंटवार्ता हुई। इस अवसर पर यमुना जी को प्रदूषण करने और नदी के किनारों को हरियाली से समृद्ध करने के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की गई। यमुना नदी, जो भारतीय संस्कृति में मां के रूप में पूजी जाती है, लंबे समय से प्रदूषण और जल की कमी जैसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इस अवसर पर यमुना जी के तटों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एक व्यापक कार्ययोजना की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, अब समय आ गया है कि हम सभी मिलकर यमुना जी को प्रदूषण मुक्त करें। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी नदियों, विशेषकर यमुना नदी, को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएं। यमुना के तटों को हरियाली से समृद्ध करने, जल शोधन करने और नालों को टेप करने की दिशा में हमें समग्र प्रयासों की आवश्यकता है। इसके लिए स्थानिक निकायों, स्थानीय कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के साथ मिलकर एक साझा कार्य योजना बनाने पर भी जोर दिया।


स्वामी जी ने यह भी कहा कि यमुना जी के तटों को वनों से सजाना बहुत जरूरी है क्योंकि जंगल, नदी की माँ हैं। पेड़ है तो जंगल है, जंगल है तो नदियां हैं और नदियां हैं तो दुनिया है। जंगल है तो हम हैं, जंगल है तो जीवन है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में सभी सांसदों, विधायकों, स्थानीय निकायों और संस्थाओं का सहयोग अनिवार्य है, और स्वामी जी ने सभी से आह्वान किया कि वे इस प्रदूषण मुक्ति अभियान में सक्रिय रूप से शामिल हों और दूसरों को भी जोड़ें।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इस अवसर पर बढ़ते तापमान, ग्लोबल वार्मिग और पर्यावरणीय संकट पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, हमारे पर्यावरण में बढ़ते तापमान और प्रदूषण के कारण जीवन पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। अब समय आ गया है कि हम मिलकर इस संकट से बचने के लिए ठोस कदम उठाएं। पेड़ लगाएं, प्राण बचाएं। पेड़ हैं तो वायु है, वायु है तो आयु है, आयु है तो जीवन है और जीवन है तो हम हैं। जीवन और जीविका दोनों को बचाने के लिए पेड़ लगाना और उनका संरक्षण करना बेहद जरूरी है।
पद्मश्री हेमामालिनी जी ने भी इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपने विचार साझा किए और स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, यमुना नदी की सफाई और संरक्षण का कार्य हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद आवश्यक है। हम सभी को इस दिशा में अपने-अपने स्तर पर काम करना होगा। यह हम सभी का कर्तव्य है कि हम यमुना जी को प्रदूषण मुक्त करें और उनकी पवित्रता को बनाए रखें।
स्वामी जी ने इस संदर्भ में आगे कहा, हम सभी को यह समझना होगा कि नदियों की सफाई और पर्यावरण का संरक्षण सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिये। अगर हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और हरित पृथ्वी देना है, तो हमें न केवल नदी संरक्षण की दिशा में कार्य करना होगा, बल्कि पेड़ों के महत्व को भी समझते हुए उनके संरक्षण के लिए भी कदम उठाने होंगे।
इस भेंटवार्ता के दौरान, यमुना नदी के प्रदूषण को समाप्त करने के लिए कई प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की गई। इनमें जल पुनर्चक्रण, नालों का शोधन, और तटों को स्वच्छ और हरित बनाने के उपायों पर विचार किया गया। इसके अतिरिक्त, पर्यावरणीय शिक्षा और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए विशेष अभियान चलाने का प्रस्ताव भी सामने आया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और हेमामालिनी जी के बीच यह दिव्य भेंटवार्ता यमुना नदी की सफाई के लिए एक नई पहल का शुभारंभ है।
स्वामी जी ने कहा कि हम सभी को अपने जीवन में पौधारोपण को प्राथमिकता देना होगा क्योंकि इसी से हमारी धरती स्वस्थ रहेगी। हमें अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पर्यावरण के प्रति अपनी भूमिका को निभाना होगा। अगर हम इस दिशा में एकजुट होकर काम करें, तो हम यमुना जी को प्रदूषण मुक्त और हरित बना सकते हैं।

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