फ्रांस की क्रांति से पहले धार्मिक और नैतिकता ने मानवाधिकार प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।-सीईओ विवेक कुमार मंगलौर
फ्रांस की क्रांति से पहले धार्मिक और नैतिकता ने मानवाधिकार प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।-सीईओ विवेक कुमार मंगलौर
चमनलाल महाविद्यालय में मानवाधिकार प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने किया नई पीढ़ी का मार्गदर्शन
लंढौरा (रुड़की)
चमनलाल महाविद्यालय, लण्ढौरा में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) नई दिल्ली के संपोषित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन की विधिवत शुरूआत महाविद्यालय के प्रबंध समिति के अध्यक्ष पं. राम कुमार शर्मा एवं प्रबंध समिति सचिव श्री अरूण हरित जी के साथ मुख्य अतिथि सीईओ विवेक कुमार मंगलौर थाना ने दीप प्रज्वलित कर किया l
तत्पश्चात सरस्वती वंदना की गई l डॉ. नीशू कुमार द्वारा सभी का स्वागत एवं समापन सत्र का परिचय एवं गत दोनों दिवसों की समष्टी। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुशील उपाध्याय ने कहा कि छात्रों में जिज्ञासा से ज्यादा डर से भाव है। 1. क्या राजा जनक ज्ञानी है, 2. क्या अज्ञानी है, 3. क्या मूर्ख है, 4. वह भुमुसु है। शिक्षकों की सारी जिन्दगी अपने छात्रों को समृद्ध मुमुक्षु बनाने में गुजर जाती है। डॉ. विभा राठी ने कहा कि मार्टिन लूथ किंग-प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह दूसरे नागरिक के अधिकारों की रक्षा करें। जो अधिकार एक व्यक्ति को मिलते है, वे व्यक्ति उसके दुरुपयोग द्वारा दूसरे व्यक्ति के अधिकार को छीन लेता है। मानवाधिकार- अधिकार मानव के वे दावे है जिन्हें समाज द्वारा मान्यता मिलती है तथा जो राज्य द्वारा लागू किये जाते है। इन अधिकारों का स्वरूप नैतिक कानूनी, राजनीतिक या अधिक हो सकता है और इनका मिश्रित रूप ही मानवाधिकार कहलाता है। अधिकार तीन प्रकार के होते है- स्वतंत्रता व समानता तथा जीवन का अधिकार है। भारत में मानवाधिकार, कौटिल्य के अनुसार राजा असहायों की सहायता करेगा यही मानवाधिकार है। मानवाधिकार शब्द की उत्पत्ति फ्रांसीसी क्रांति के तीन शब्द निकले है। 1. स्वतंत्रता, 2. समानता, 3. बंधुत्व की भावना। भारतीय संविधान भाग 3 तथा 4 के तहत मानवाधिकार प्रदान करता है। भारत में मानवाधिकार आयोग बेहतरीन कार्य कर रहा है, मुख्यतः शरणार्थियों, बालकों, महिलाओं तथा जेल में बन्द व्यक्तियों के लिए। मानवाधिकार उल्लंघन दलितों एवं सामाजिक बहिष्कार, लड़की एवं लड़कों में भेदभाव आदि। भारत में मानवाधिकारों की पृष्ठभूमि उतनी स्वच्छ नहीं है जितनी होनी चाहिए। मानवाधिकार सिर्फ मानवों के होने चाहिए दानवों के नहीं। प्रो. राखी पंचोला ने बाल अधिकारों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि हम अपने बच्चों के साथ जैसा व्यवहार करते है वह वैसा ही बन जाते है। बाल अधिकार क्यों आवश्यक है, क्योंकि 1. बच्चे नाजुक और कमजोर है, 2. लिंग और जातिगत भेदभाव, 3. बच्चे अपनी आवाज नहीं उठा सकते, 4. बच्चों के साथ अक्सर गलत व्यवहार होता है, 5. उनको पूर्ण मानव का दर्जा नहीं दिया जाता है, 6. विशेष संरक्षण की आवश्यकता है, 7. उन्हें भागीदारी का मौका नहीं दिया जाता। बाल अधिकारो का दर्जा मानवाधिकार से भी अधिक है, क्योंकि जब बालक अवस्था में अधिकार मिलेंगे तभी वह मानव बनेगा। 1. बालकों को जीवित रहने का अधिकार, 2. विकास का अधिकार, 3. सुरक्षित रहने का अधिकार, 4. भागीदारी का अधिकार।
स्वास्थ्य का मतलब बीमारी से दूर रहना नहीं, मानसिक स्वास्थ रहना भी है। एक अफ्रीकी कहावत है कि एक बच्चे को बड़ा करन सारे गांव की जिम्मेदारी है। बच्चे का विकास उसकी शिक्षा और मनोरंजन में निहित है। बच्चे का प्रत्येक मुद्दे पर विचार रखने का अधिकार होना चाहिए। यदि हमें बाल अधिकारों का शोषण दिखता है तो हमें उनकी मदद करनी चाहिए। प्रो. अतवीर ने कहा कि एक मानव को मानव अधिकारों का पता होना चाहिए। हम मानव है इसलिए हमारे अधिकार है। यह मानव को मालूम है। सरकारों के द्वारा जो संस्था बनाई गई है उन्हीं में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। संस्थाएं गौण हो गयी है। व्यक्ति महत्वपूर्ण हो गया है। अतः संस्थाओं की गरिमा की रक्षा करना ज्यादा आवश्यक है। तभी महिला एवं बाल अधिकारों की रक्षा हो सकेगी। हमने राजनीतिक स्वतंत्रता सन् 1947 में हासिल कर ली लेकिन बहुत सी गुलामी ओढ़े हुए है। किसी के अधिकार का हनन होते देख कर चुपचाप निकल जाते है। गलत का विरोध करने का साहस हमें दिखाना होगा। बच्चों के साथ कार्यस्थल पर अच्छा व्यवहार नहीं होता। हम इन सब से आंख मूंद कर बड़े-बड़े, मंचों पर जाकर बड़ी बड़ी बात करते है। हमें समाज को शिक्षित करना है। तभी जनचेतना उत्पन्न होगी। सहमति का विवेक और असहमति का साहस अपने अन्दर होना चाहिए।
सुश्री अरूणा भारती ने कहा कि मेरे अधिकारों का प्रयोग कोई और नहीं कर सकता। मानवाधिकार की आवश्यकता क्यों पड़ी। मनमाना ना किया जाय इसलिए। पुलिस इन्हीं के आधार पर कार्य करती है। कानून पर लोगों का विश्वास बढ़े। अपराधियों के व्यवहार सही हो। मानवाधिकारों के हनन को रोका जाये। अवसर प्रयोग किया जाये। मार्डन तरीके इनवेस्टिगेशन के आने चाहिए। पुलिस कैसे मानवाधिकार का हनन करती है फ्राड केस, गाली, अरेस्टिंग के गलत तरीके, अश्लीन भाषा, सर्च के गलत तरीके, फेक गवाही, फेक एनकाउन्टर्स, क्रिमनलर्स से सांठगाठ आदि। आपको थाने बुलाने पर पहले कारण बताता है। मानवाधिकार के बोर्ड लगाये जाने चाहिए। गिरफ्तार करने वाली पुलिस के नेेम प्लेट आदि जानने के अधिकार, महिला एवं बच्चों से पूछताछ करने के लिए महिला सब इंस्पेक्टर होना चाहिए। महिला को सुबह 5 बजे से शाम बजे तक ही अरेस्ट किया जा सकता है। एव्यूलिंग लैग्वेज का यूज नहीं करतना है। यह सब फोलो न करने पर सजा का प्रावधान है। 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है सत्र के अन्त में प्रतियोगिता के विजेताओ के नाम घोषित किये गये। तत्पश्चात् प्रतिभागियों द्वारा फीडबैक दिया गया। सभी प्रतिभागियों द्वारा मंच से इस कार्यक्रम की भूरी-भूरी प्रशंसा की गयी।
पुस्तक मेरा बचपन मेरे कंधों पर विवेक कुमार सी.ओ. मंगलौर ने कहा कि हमारे अधिकार और दूसरे के अधिकार तब तक सुरक्षित है जब तक हम अपनी सीमाओं में है। पहले गुलाम बनाने और बेचने की प्रथा थी फिर धर्म ने दया के सिद्धांत देकर इस प्रथा को खत्म कराया। फ्रांस की क्रांति से पहले धार्मिक और नैतिकता आदि ने मानवाधिकार प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। फिर अलग क्रांति ने ये काम किया कि अब संस्थाएं इस भूमिका को निभा रही है। पुलिस को भी मानवाधिकार का पालन करना होता है।
प्रतियोगिता में विजेताओं को घोषित नकद धनराशि एवं प्रमाण देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के समय शिक्षक एवं गैर शिक्षक कर्मचारी उपस्थित रहे l