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नवप्रवेशी विद्यार्थियों को माननीय कुलाधिपति डॉ पण्ड्या जी ने किया दीक्षित

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुज का 44वाँ ज्ञानदीक्षा समारोह उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ। समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि केबीनेट मंत्री श्री धनसिंह रावत, विशिष्ट अतिथि दून विवि की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, देसंविवि के कुलपति श्री शरद पारधी, प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या द्वारा दीप प्रज्वलन एवं देसंविवि के कुलगीत से हुआ। ज्ञानदीक्षा समारोह में भारत के 15 राज्यों के नवप्रवेशी छात्र छात्राएँ दीक्षित हुए।


समारोह के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा एवं सहकारिता मंत्री श्री धनसिंह रावत ने कहा कि जिस युवाओं में अनुशासन होता, ऐसे युवा ही आगे बढते हैं। देसंविवि की एक खास है कि यहाँ युवाओं को अनुशासन के निर्वहन के लिए हमेशा प्रशिक्षित करता आ रहा है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति हमें जड़ों से जुड़ना और अनुशासित रहना सिखाता है। श्री रावत ने कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया जाने वाला ज्ञानदीक्षा संस्कार समारोह एक बहुत ही अच्छा आयोजन है, जिसे राज्यभर के सभी विश्वविद्यालयों में आयोजित किया जाना चाहिए, जिसके लिए देव संस्कृति विश्वविद्यालय को एक गाइडलाइन तैयार करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे ज्ञानदीक्षा संस्कार समारोह जैसे कार्यक्रमों के साथ जब विद्यार्थी विश्वविद्यालयों में आएगा, तो रैगिंग जैसी परेशानियाँ भी जड़ से खत्म हो जायेंगी।


विशिष्ट अतिथि दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि शिक्षा भौतिक जगत से परिचित कराता है, लेकिन विद्या जड़ से जगत की यात्रा कराता है। आज पूरी दुनिया भारत की ओर टकटकी लगायी बैठी है। आप भारत के एम्बेस्डर बनकर पूरी दुनिया में जायें और वसुधैव कुटुंबकम के भाव का विस्तार करें। उन्होंने कहा कि भारत की शिक्षा पद्धति में मौजूद जिन अनुपस्थित कड़ियों को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लाई थी, वह कार्य देव संस्कृति विश्वविद्यालय अपने प्रारंभिक दिनों से ही कर रहा है।
इस दौरान देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी वर्चुअल जुड़े और नवप्रवेशी विद्यार्थियों को ज्ञानदीक्षा के सूत्रों से दीक्षित किया। उन्होंने कहा कि ज्ञानदीक्षा संस्कार विद्यार्थियों को नवजीवन प्रदान करने वाला है। ज्ञानदीक्षा की पृष्ठभूमि बताते हुए प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि परिस्थिति को बदलने से पहले अपनी मनःस्थिति को बदलें। ज्ञानदीक्षा का अर्थ हमारे व्यक्तित्व के अंदर प्रतिष्ठित हो तो सकारात्मक परिवर्तन संभव है। ज्ञानदीक्षा ज्ञान के उदय का पर्व है। कुलपति श्री शरद पारधी ने स्वागत भाषण दिया। इससे पूर्व मंत्री श्री धनसिंह रावत, प्रो सुरेखा डंगवाल ने वीर शहीदों की याद बने शौर्य दीवार पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज के 44वाँ ज्ञानदीक्षा संस्कार समारोह में नवप्रवेशी विद्यार्थी वैदिक सूत्रों में बंधे। समारोह में उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मप्र, झारखण्ड, बिहार सहित 22 राज्यों के 2000 से अधिक छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। श्री उदयकिशोर मिश्र व श्री रामावतार पाटीदार ने नवप्रवेशार्थी छात्र-छात्राओं को वैदिक रीति से ज्ञानदीक्षा का वैदिक कर्मकाण्ड कराया। वहीं चयनित विद्यार्थियों को अतिथियों ने देसंविवि के प्रतीक चिह्न भेंट किया। समापन से पूर्व मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, कुलपति एवं प्रतिकुलपति ने धन्वन्तरी सहित अनेक पत्रिकाओं का विमोचन किया। इस अवसर पर देसंविवि के कुलसचिव श्री बलदाऊ जी, समस्त आचार्यगण, शांतिकुंज परिवार के वरिष्ठ सदस्य तथा देश-विदेश से आये विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकगण तथा पत्रकार बंधु मौजूद रहे।

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