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कुम्भ सनातन की समृद्ध परंपराओं को जीवंत व जागृत रखने का अनूठा माध्यम : रविन्द्र पुरी

प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज (महानिर्वाणी) व परमार्थ आश्रम के स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज की महाकुम्भ की पुण्य भूमि पर भेंटवार्ता हुई। इस दौरान श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती का महानिर्वाणी शिविर में अभिनन्दन करते हुये कहा कि महाकुम्भ का आयोजन सनातन धर्म की समृद्ध परंपराओं को जीवंत व जागृत रखने का एक अनूठा माध्यम है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि महाकुम्भ धरती का एक दिव्य अनुष्ठान है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। महाकुम्भ, एकता की शक्ति का द्योतक है। यह समग्र मानवता को एकता का संदेश देता हैं और यह स्व से समष्टि तक जुड़ने का उत्कृष्ट माध्यम भी है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि कुम्भ मेला मानवता की एक समग्र यात्रा का प्रतीक है। यह वह अवसर है जब सभी जातियों, धर्मों, पंथों के लोग एक साथ आते हैं और एकता, भाईचारे व शांति के मूल्यों को समर्पित रहते हैं। कुम्भ मेला में भेदभाव, घृणा और हिंसा का कोई स्थान नहीं है। स्वामी जी ने कहा कि भारत के संगम को बनाये रखने के लिये महाकुम्भ सबसे श्रेष्ठ आयोजन है। महाकुम्भ देशों और दिलों को जोड़ने वाला उत्सव है।

कहा कि वर्तमान समय में अगर हमें कुछ तोड़ना है तो जाति-पाति की दीवारों को तोड़ें,तोड़ना है। आपस की भेदभाव, ऊँच-नीच, बड़े-छोटे की दीवारों को तोड़ें और छोटी-छोटी दरारों को भरते हुये आगे बढ़े यही कुम्भ है। यही तो अमृत है। यही संगम है और यही तो भारत है। यह देश हमेशा बुलंदियों की ऊचाईयों के शिखर पर रहे यही है। संगम से संगम का संदेश।

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