Search for:
  • Home/
  • Uncategorized/
  • महाकुम्भ, परमार्थ निकेतन शिविर में शिवलीला का अद्भुत आयोजन

महाकुम्भ, परमार्थ निकेतन शिविर में शिवलीला का अद्भुत आयोजन

महाकुम्भ की दिव्य धरती पर महाशिवरात्रि का दिव्य, अद्भुत एवं अभूतपूर्व संयोग है। शिवरात्रि जहां शिव और शक्ति का मिलन और शिव और जीव के मिलन का अद्भुत अवसर है। इस विशेष अवसर पर परमार्थ निकेतन शिविर में शिवलीला का अद्भुत आयोजन किया गया। आदिवासी और जनजाति कलाकारों द्वारा शिव जी के प्रतीक के रूप में उनके आदर्शों को पुनः जीवित कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।


इस वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर महाकुम्भ, परमार्थ निकेतन, शिविर प्रयागराज में आदिवासी एवं जनजाति कलाकारों द्वारा विशेष प्रस्तुति दी गयी, जो शिवजी की महिमा और उनके अद्भुत गुणों को दर्शाती है। इन कलाकारों द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक नृत्य, संगीत और लीलायें अद्भुत थी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि महाशिवरात्रि, विशेष रूप से भगवान शिव और शक्ति के मिलन की रात्रि है। यह वह रात्रि है जब शिव का आदिशक्ति के साथ मिलन होता है। महाशिवरात्रि, शुद्धि की रात्रि है, इस रात्रि में शिव की उपासना से मानसिक और शारीरिक शुद्धता की प्राप्ति होती है, और जीवन के पथ पर सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए शक्ति मिलती है।


स्वामी जी ने कहा कि शिवरात्रि, पर आप सबका जीवन ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ बने। शिव का स्वरूप ही सत्य, सौंदर्य और शांति का प्रतीक है। सत्य, जो हर काल में अपरिवर्तित रहता है, शिव का शाश्वत स्वरूप, जो संसार के सभी भ्रमों से परे है। शांति, जो हर जीव के हृदय में निवास करती है, जीवन को संतुलित व शुद्ध करती है और सुंदरता, जो केवल बाहरी रूप में नहीं, बल्कि भीतर की मानसिक शांति और संतोष में भी प्रकट होती है।
इस शिवरात्रि, हम सभी भगवान शिव से प्रार्थना करे कि हमारे जीवन में सत्य की पहचान हो, शांति का अनुभव हो और हम आत्मिक सुंदरता को आत्मसात कर सकें। उनके आशीर्वाद से हम अपने जीवन को दिव्य और पूर्ण बना सकते हैं।
भगवान शिव, समग्र सृष्टि के संरक्षक और विनाशक दोनों हैं, जो जीवन के हर पहलू में अपनी उपस्थिति का अनुभव कराते हैं। शिव का रचनात्मक पक्ष जीवन में नवीनीकरण, उन्नति और विकास का प्रतीक है और उनका विनाशक रूप यह बताता है कि केवल विनाश ही पुनर्निर्माण की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। यही कारण है कि उनका रूप संहारक होते हुए भी शांति और शक्ति का प्रतीक है।
शिव के अस्तित्व में जीवन के गहरे रहस्य छिपे हुए हैं, जो आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। वे हमें अपने भीतर के सत्य को पहचानने और जीवन के उद्देश्य को समझने की प्रेरणा देते हैं।
परमार्थ निकेतन शिविर में आदिवासी और जनजाति कलाकारों ने अद्भुत प्रस्तुतियाँ दी। स्वामी जी ने उन सभी कलाकारों का उत्साहवर्द्धन किया और रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required