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हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल में हिंदी गीतों की रीत विषय पर संवाद कार्यक्रम

गीत भारतीय लोकजीवन का अभिन्न अंग-डॉ. ललित नारायण मिश्राहरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल में हिंदी गीतों पर केंद्रित एक विशेष संवाद सत्र का आयोजन,हरिद्वार। हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल में हिंदी गीतों की रीत विषय पर संवाद कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ. ललित नारायण मिश्र ने अपने रचनात्मक यात्रा से आधारित सवालों के बेबाकी से जवाब दिए।हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल में हिंदी गीतों पर केंद्रित एक विशेष संवाद सत्र का आयोजन किया गया। सत्र में जिला विकास अधिकारी डॉ. ललित नारायण मिश्र ने हिंदी गीत की परंपरा और उसकी विकास यात्रा पर विचार साझा किए। डॉ. ललित नारायण मिश्र ने कहा कि गीत भारतीय लोकजीवन का अभिन्न अंग है और वाचिक परंपरा में गीत सदियों से संस्कृति के संवाहक रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गीत भावनाओं की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम है तथा इसके विषय लोकजीवन से ही प्राप्त होते हैं। इस संवाद सत्र के माडरेटर युवा लेखक डॉ. शिवा अग्रवाल ने डॉ. मिश्रा से विभिन्न प्रश्न किए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को एक उचित मार्गदर्शन में स्वतंत्र छोड़ना जरूरी है। जिससे वह अपना बेहतर कर सकें। क्या किसी रीत ने उन्हें गीत लिखने के लिए प्रेरित किया, डॉ. मिश्र ने कहा कि मिट्टी से जुड़ाव, भावनात्मकता आदि कुछ ऐसे तथ्य हैं जिनकी बदौलत लेखन को प्रवाह मिला। उन्होंने कहा कि यदि वह प्रशासनिक अधिकारी न होते तो निश्चित रूप से लेखक होते। उन्होंने अपने जीवन से जुड़े कई अनछुए पक्षों से श्रोताओं को परिचित कराया।सत्र के दौरान डॉ. मिश्र ने अपने स्वरचित गीतों का वाचन भी किया, जिसे श्रोताओं ने सराहा। इस संवाद सत्र के सूत्रधार डॉ. पल्लवी राणा एवं डॉ. सलोनी रहे।

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