Search for:
  • Home/
  • Uncategorized/
  • प्रतिवर्ष 23 मार्च शहीदी दिवस पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की प्रेरणा से 23 हजार पौधों का किया जायेगा रोपण

प्रतिवर्ष 23 मार्च शहीदी दिवस पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की प्रेरणा से 23 हजार पौधों का किया जायेगा रोपण

ऋषिकेश/हरियाणा, 23 मार्च। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को गुड़गांव में आयोजित शहीदी दिवस-वीरांगना सम्मान समारोह में विशेष रूप से आमंत्रित किया। स्वामी जी ने शहीदी दिवस, वीरांगना सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सहभाग कर पे्ररणादायी उद्बोधन व विशेष आशीर्वाद दिया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने शहीदी दिवस के अवसर पर राष्ट्रभक्त शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि आज का दिन ‘शहीदी दिवस’ भी है और ‘सर्वोदय दिवस’ भी है।आज के ही दिन वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1931 में फांँसी दी थी। उन्होंने ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारे के साथ अपनी गिरफ्तारी दी। स्वामी जी ने कहा कि ‘‘व्यक्ति मरता है विचार नहीं’’ वीर भगतसिंह के जीवन ने अनगिनत युवाओं को प्रेरित किया और उनकी शहादत ने पूरे देश में राष्ट्र भक्ति की मशाल प्रज्वलित की जो कि एक मिसाल बन गयी। अपनी युवावस्था में वीर भगतसिंह जी ने आजादी के लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया और राष्ट्र पर बलिदान होने का रास्ता चुना। उन्होंने वीरता के साथ राष्ट्र के लिये कुछ करने की अपनी इच्छा को पूरा किया। ये है भारत के लाल जिन्होंने स्वयं को नहीं बल्कि अपनी भारत माता को चुना।स्वामी जी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास बहुत लंबा रहा है, हमारे देश के युवाओं ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर भारत को आज़ाद कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। शहीद दिवस पर उन वीर बलिदानियों के बलिदान और देशभक्ति को नमन।स्वामी जी ने कहा कि भारत के सैनिक किसी संत से कम नहीं हैं। संत, संस्कृति की रक्षा करते हैं और सैनिक देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हैं। सैनिक है तो हमारी सीमाएं सुरक्षित हंैै; सैनिक हैं तो हम हैं, हमारा अस्तित्व है उनकी वजह से आज हम जिंदा है और हमारा देश भी ज़िंदा है। सैनिक अपनी जान को हथेली पर रखकर अपने देश की रक्षा करते हंै। भारत की महान, विशाल और गौरवशाली विरासत है। हमंे इस देश की विशालता, विरासत में मिली है इसके गौरव को बनाये रखने में सहयोग प्रदान करें और जिन जवानों की वजह से हमारा तिरंगा लहरा रहा है उनके परिवार के साथ सदैव खड़े रहें।मÛ मÛ स्वामी धर्मदेव जी ने कहा कि भगत सिंह के विचार और साहस आज के युवाओं को प्रेरणा देने वाले हैं। उन्होंने 23 वर्ष की आयु में हसंते-हसंते फांसी का फंदा चूम लिया। वे अद्भुत क्रांतिकारी विचारों के धनी थे। देशभक्ति और क्रान्ति की चिंगारी को मशाल का रूप देने वाला ‘इंकलाब जिंदाबाद’ नारा पहली बार भगत सिंह ने ही बोला था। उनका मानना था कि व्यक्ति को मारा तो जा सकता है परन्तु उसके विचारों को दबाया नहीं जा सकता ऐसे देशभक्त की देशभक्ति को नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि।

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required