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आगामी 24 सितम्बर को पंतदीप मैदान, हरिद्वार में आयोजित होने वाले ब्राह्मण महाकुंभ की प्रेस क्लब हरिद्वार में शुक्रवार को पत्रकारों को जानकारी देते हुए मुख्य संयोजक पं. विशाल शर्मा ने बताया कि देव भूमि हरिद्वार में मां गंगा के तट पर ब्राह्मणों का इतना बड़ा संगम पहली बार होने जा रहा है।

इस महाकुंभ में देश के विभिन्न प्रदेशों के ब्राह्मण संगठनों के हजारों प्रतिनिधि भाग ले रहे है।
उन्होंने बताया समाज के हित में सभी संगठनों के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श करने के बाद केन्द्र एवं राज्य सरकारों के समक्ष 11 सूत्री मांगपत्र रखा गया है। पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए आयोजक मण्डल के सदस्यों ने कहा कि प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली में संगठित समाज की ही आवाज सुनी जाती है। आज ब्राह्मण जाति शेष समाज के निशाने पर दिखाई देती है। हमारे पूर्वजों को लक्ष्य कर झूंठ एवं मनगढ़न्त कहानियां गढ़कर हमें निशाना बनाया जा रहा है और विभिन्न जातिवादी संगठन एवं राजनैतिक दल हमारे प्रति घृणा तथा द्वेष की भावना पैदा कर रहे हैं। अब जो भी हमारी मांगांे के समर्थन में संसद एवं विधान सभाओं में आवाज बुलन्द करेगा हमारा समाज उसका समर्थन करेगा। हम सबको गोत्र, क्षेत्र, वेश-भूषा अथवा खान-पान के भेदभाव को समाप्त कर आगे बढ़ना है।
प्रेस वार्ता में गंगा सभा हरिद्वार के अध्यक्ष पं. नितिन गौतम, डॉ. अनीता मिश्रा विश्व ब्राह्मण महा सभा, राजस्थान, पं. मनोज गौतम, अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद, पं. पद्म प्रकाश शर्मा उत्तराखण्ड ब्राह्मण महासभा, पं. शिव कुमार शर्मा, ब्राह्मण जागृति संस्था बीएचईएल, पं. अधीर कौशिक,श्री परशुराम अखाडा, पं. हेमचन्द्र भट्ट अखिल ब्राह्मण उत्थान महा सभा, डॉ. राजेन्द्र पाराशर सर्व ब्राह्मण महासभा, पं. शिवशंकर तिवारी, पं. बालकृष्ण शास्त्री, सह संयोजक, ऋषि शर्मा, डा . अशोक शर्मा दिल्ली, भगवताचार्य पवन कृष्ण शास्त्री मौजूद रहे।
मांग पत्र निम्नानुसार है-

  1. समस्त भारतवर्ष के राज्यों में ब्राह्मण कल्याण आयोग का संवैधानिक गठन किया जाए। यह घोषणा तक सीमित ना रहे तुरंत इसका गठन हो तथा किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को अध्यक्ष न बनाकर ब्राह्मण समाज से ही अध्यक्ष चुना जाए।
  2. भारत वर्ष की समस्त जातियों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाय एवं ब्राह्मण वर्ग को प्रत्येक राज्य में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का लाभ दिया जाये एंव राजनैतिक हिस्सेदारी में प्राथमिकता दी जाये।
  3. वर्ष 1990 में जम्मू कश्मीर में ब्राह्मणों के हुए नरसंहार की अविलम्ब न्यायिक जांच हेतु आयोग का गठन किया जाय एंव कश्मीरी ब्राह्मणों के पुर्नस्थापन के लिये पूर्व पैतृक सम्पत्ति (कश्मीर) पर स्थापन किया जाये।
  4. भारत वर्ष के कई राज्यों के मन्दिरों में गैर ब्राह्मणों को पुजारी नियुक्त किया जा रहा है इस पर तत्काल रोक लगाकर केवल ब्राह्मण पुजारी को ही नियुक्त किया जाय एंव देश के प्रत्येक राज्य में भूमिहीन एवं आर्थिक रूप से कमजोर ब्राह्मणों को भूमि का आवंटन एवं रोजगार दिया जाय।
  5. ब्राह्मण वर्ग के छात्र/छात्राओं के लिए शासन द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर छात्रावास की व्यवस्था की जाए जिसका नाम भगवान परशुराम छात्रावास रखा जाए और सरकारी आवेदनों में निःशुल्क की पात्रता दी जाए।
  6. देश के प्रत्येक राज्य में मन्दिरों के पुजारियों/पुरोहितों को मासिक सम्मान निधि दी जाये एवं समाज में आर्थिक रूप से कमजोर छात्र/छात्राओं की शिक्षा हेतु सरकार द्वारा आर्थिक मदद की जाय।
  7. आठ लाख से नीचे आय वाले निर्धन ब्राह्मणों को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाए।
  8. भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाय। यदि ऐसा नहीं होता है तो राष्ट्रीय अवकाशांे को छोडकर सभी अवकाश निरस्त किये जायें।
  9. मंदिरों से हुई धर्मस्व की आमदनी की संपूर्ण राशि मंदिरों के जीर्णाेद्धार, गुरुकुल, गौशाला तथा हिंदू धर्म की लोक कल्याणकारी योजनाओं के संचालन हेतु शासकीय अनुदान के रूप में प्रदान की जाए।
  10. एस.सी./एस.टी. कानून को समाप्त किया जाये अथवा गिरफ्तारी से पहले जॉच का प्रावधान लागू किया जाये। जिसका जॉच अधिकारी सवर्ण जाति से हो।
  11. आयोध्या में बन रहे श्रीराम मन्दिर, ब्रज घाट (गढमुक्तेश्वर) उ.प्र., हरिद्वार एवं भारत के समस्त तीर्थ स्थलांे में भगवान परशुराम की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाये।

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